इधर, उत्तराखंड गोल्ड कप का उद्घाटन, उधर स्टेडियम गेट के बाहर धरने पर बैठे पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट
उत्तराखंड में पिछले 41 सालों से गोल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन कर रहे पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट को ही इस बार गोल्ड कप के आयोजन को लेकर धरने पर बैठना पड़ा। वह समर्थकों के साथ आज शुक्रवार को देहरादून के रायपुर स्टेडियम के गेट के समक्ष धरने पर बैठ गए। क्रिकेट के क्षेत्र में उत्तराखंड की पहचान बनाने वाले पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट को ही इस बार उत्तराखंड गोल्ड कप के आयोजन से दरकिनार कर दिया गया है। इससे हीरा सिंह बिष्ट के समर्थकों के साथ ही खेल प्रेमियों में रोष है। उपेक्षा से नाराज महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज के बाहर हीरा सिंह बिष्ट आज समर्थकों के साथ धरने पर बैठे और उन्होंने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। आज ही उत्तराखंड में गोल्ड कप का आयोजन किया जा रहा है। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल आमंत्रित हैं।आज से हो रही है गोल्ड कप की शुरुआत
उत्तरांचल गोल्ड कप का इतिहास करीब 41 साल पुराना है। टूर्नामेंट की शुरुआत 1981 में सबसे पहले सर्वे मैदान में हुई थी।वर्ष 2008 में पाक की क्वेट क्लब टीम, 2013 में बांग्लादेश व नेपाल की टीमें भी आई थी। इसके बाद बांग्लादेश की टीम में शामिल प्लेयर्स का वर्ल्ड कप के लिए चयन तक हुआ। करीब 41 साल के इस सफर में एकाध साल टूर्नामेंट नहीं हो पाया। इस बार 38वां आल इंडिया गोल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है। इसमें खास बात ये है कि गोल्ड कप को इस मुकाम तक पहुंचाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं वयोवृद्ध कांग्रेस नेता हीरा सिंह बिष्ट को आयोजन समिति से ही दरकिनार कर दिया गया।
मदन कोहली को बनाया समिति का अध्यक्ष
उत्तराखंड क्रिकेट में जो योगदान पूर्व मंत्री और क्रिकेट एसोसिएशन आफ उत्तराखंड के पूर्व अध्यक्ष एवं संरक्षक हीरा सिंह बिष्ट का रहा है, उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता है। बीसीसीआइ की मान्यता मिलने के बाद इसके पूर्व सचिव पीसी वर्मा और उनके बेटे माहिम वर्मा का एसोसिएशन में कब्जा हो गया। इसके बाद उन्होंने एक एक करके हीरा सिंह बिष्ट और उनके समर्थकों को एसोसिएशन से बाहर करना शुरू कर दिया। अब गोल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट से भी पूरी तरह निकाल बाहर कर उनकी जगह वयोवृद्ध मदन कोहली को आयोजन समिति का अध्यक्ष बना दिया है। वर्मा लॉबी पर तमाम संगीन आरोप क्रिकेट चयन और आयोजन के लगते रहे हैं। उत्तराखंड के हेड कोच वासिम जाफ़र के साथ विवाद के लिए भी वर्मा परिवार को देश भर में जाना जाता है।
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