क्रिसमस और न्यू ईयर के कार्यक्रमों पर रोक के विरोध में मौन व्रत पर बैठे हरीश रावत

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत आज फिर एक घंटे के मौन व्रत और उपवास पर बैठे। मसूरी रोड स्थित अपने आवास के बाहर कुर्सी लगाकर उन्होंने धरना दिया। इस बार मुद्दा है, क्रिसमस, न्यू ईयर के कार्यक्रमों पर प्रतिबंध का। उन्होंने कहा कि वह मसूरी के व्यावसायियों के साथ हैं।
गौरतलब है कि क्रिसमस और न्यू ईयर के कार्यक्रमों को देहरादून प्रशासन ने प्रतिबंधित कर दिया है। इससे देहरादून और मसूरी के होटल व्यावसायियों को खासा नुकसान उठाना पड़ा है। काफी लोगों ने होटलों में बुकिंग रद कर दी है। वहीं, हाईकोर्ट ने भी नैनीताल और मसूरी में आने वालों के कोरोना टैस्ट को अनिवार्य किया है। इसमें तो कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। वहीं, कार्यक्रमों पर प्रतिबंध को लेकर होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों में असंतोष है।
सरकार और सरकार के मंत्रियों में भी तालमेल की कमी देखी जा रही है। हाल ही में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा था कि क्रिसमस और नए साल के लिए पर्यटक मसूरी, नैनीताल और उत्तराखंड के अन्य हिस्सों में आएं। एक तरफ सतपाल महाराज पर्यटकों को आमंत्रित कर रहे हैं, वहीं, दूसरी ओर, देहरादून जिला प्रशासन ने देहरादून में इन दिनों हर तरह के उन आयोजन को प्रतिबंधित कर दिया, जिसमें लोग जमा होते हैं।
वहीं, एनजीटी के आदेश के बाद उत्तराखंड के पांच शहर देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, हल्द्वानी, रुद्रपुर व काशीपुर में क्रिसमस और नए साल के आगमन पर सिर्फ 35 मिनट तक ही ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति शासन ने दी है।
आज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने आवास के बाहर धरने पर बैठे। इसे उन्होंने मौन व्रत और उपवास का नाम दिया। सोशल मीडिया में उन्होंने पोस्ट डाली कि-स्नोफॉल, क्रिसमस से लेकर नये साल के आगमन तक यदि उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों के आगमन पर प्रतिबंध लगाया जायेगा, नियंत्रित किया जायेगा तो होटल व्यवसायी कहां खड़ा होगा? तो राज्य सरकार के इस निर्णय के विरोध में मसूरी-देहरादून के होटल व्यवसायियों के साथ हूं।
व्यावसायियों ने बताई समस्या
उपवास के समापन पर उत्तराखंड के कौसोनी, नैनीताल, देहरादून, हरिद्वार सहित विभिन्न क्षेत्र से होटल एंड रेस्टोरेन्ट एसोशिएशन के व्यवसायियों ने उनसे भेंट कर कोविड़ से उत्पन्न पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी अपनी कठिनाईयों से अवगत कराया। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यह कैसी बुद्धि है यह कैसा निर्णय है कि राज्य कि आर्थिक गतिविधियों का मुख्य आधार पर्यटन पर ही सरकार हमला कर रही है। भाजपा की रैलीयों को तो नही रोका जा रहा है, परन्तु राज्य के पर्यटन से जुड़े होटल, रेस्टोरेन्ट, कुम्भ, क्रिसमस, विन्टर कार्निवल व नये साल के कार्यक्रमों पर प्रतिबन्ध लगाकर पर्यटन व्यवसाय पर चोट की जा रही है। जब ये कार्यक्रम हमारे यहां होने ही नही हैं तो पर्यटक क्यों आयेगा।
उन्होने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत से सवाल किया कि हमने राज्य के व्यवसायी व राज्य की अर्थ व्यवस्था इतने प्रतिबन्धो के साथ कैसे पटरी पर आयेगी। महत्वपूर्ण दिवसों पर पर्यटक राज्य का रुख करता है, जिससे लाखों लोगो की रोजी रोटी चलती है। कहा कि कोविड से पहले ही हमारा पर्यटन चौपट हो चुका है। विभिन्न व्यवसाय से जुड़े लोगो के ऊपर बिजली, पानी और कर्मचारियों को बनाये रखने का भी भार पड़ा हुआ है। जिस पर सरकार ने कोई सहायता नही की है। उन्होने कहा कि आज मैं उपवास पर सान्ताक्लोज के आवाहन पर उपवास पर बैठा। वे राज्य सरकार को सुबुद्धि प्रदान करें।
उनसे भेट करने वाले होटल एंव रेस्टोरेन्ट के अध्यक्ष संदीप साहनी, शौलेन्द्र कर्णवाल, एस सी गिलोतरा, अमित वैश्य, मन्नू कोचर, ईलियास अहमद, रामकुमार गोयल, रविश भटिजा, इन्द्रजीत सिंह, आलोक राठोर, सिद्धार्थ भटट्, सुमित सिंह, नीरज गुप्ता, नीरज गोयल, प्रण्व गिलोतरा, संजय अग्रवाल आदि नैनीताल, कौसोनी, मूसरी, हरिद्वार आदि से सम्मलित हुए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।