किसान आंदोलन को हरीश रावत ने दी एक मुट्ठी मिट्टी, डीजीपी की कर गए तारीफ, सीएम और भगत को लपेटा

किसान आंदोलन के लिए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक मिट्टी की एक मुट्ठी दी। उत्तराखंडी पारंपरिक व्यंजनों को लेकर उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक की तारीफ की। वहीं, इसी मुद्दे को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को उन्होंने शब्दों के वाण में लपेटा। साथ ही मनरेगा को लेकर सीएम की घोषणा पर भी उन्होंने संशय व्यक्त किया।
किसान आंदोलन के तहत देश भर में युवा कांग्रेस की ओर से एक मुट्ठी मिट्टी शहीदों के नाम से मुहीम चलाई गई है। इसके तहत हरीश रावत ने अपने आवास पर युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक मुट्ठी मिट्टी दी। इस मिट्टी को दिल्ली में आंदोलनरत किसानों को भेजा जाएगा। तथा देश के कौने कौने से आइ इस मिट्टी से भारत का नक्शा बनाकर किसान आंदोलन में शहीद होने वाले किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। साथ ही केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट किया जाएगा।
इस दौरान यूथ कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय सचिव एवं छात्रसंघ अध्यक्ष संग्राम सिंह पुंडीर, राष्ट्रीय संयोजक सोनू हसन, प्रदीप बिष्ट, आशीष रावत, सिद्धार्थ वर्मा, नीतीश मौर्य, मोहित मेहता, अंकित रावत, गौरव रावत, देवराज बिष्ट, सुमित शर्मा, नितिन, आदित्य बिष्ट, तुषार पाल, अक्षय शर्मा, निखिल, गगन कक्कड़ सहित अन्य युवा साथी मौजूद रहे।
डीजीपी की रावत ने की तारीफ
उत्तराखंड में पुलिस महकमें की कैंटीन, मैस में सप्ताह में एक दिन उत्तराखंडी व्यंजन परोसने को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने डीजीपी अशोक कुमार की तारीफ की। उन्होंने सोशल मीडिया में लिका कि-उत्तराखंड पुलिस मैस में उत्तराखंडी व्यंजनों को परोसना एक सशक्त शुरुआत है। हमारी सरकार ने जेल, हॉस्पिटलों और सरकारी दावतों में उत्तराखंडी व्यंजनों को परोसना अनिवार्य कर दिया था। मुझे उम्मीद है कि DGP अशोक कुमार जी से अन्य दूसरे लोग भी प्रेरणा लेंगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत पर किया कटाक्ष
हरीश रावत ने सोशल मीडिया में पोस्ट के जरिये भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत पर उत्तराखंडी खानपान को लेकर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि-
बंशीधर भगत जी कहते हैं कि उत्तराखंडी खान-पान अनाज आदि की बात हरीश रावत का नाटक है। बंशीधर जी ये हरीश रावत के नाटक का ही प्रभाव है कि 5 रूपया नाली बिकने वाला मंडुआ आज मडुवे का आटा 40 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है। जिस गेठी को लोग जानते नहीं थे, वो गेठी आज 60 रुपये किलो भी उत्तराखंड के बाजारों में लोगों को मिल नहीं पा रही है। और भी बहुत सारे उत्पाद हैं।
उन्होंने कहा कि- हमने मडुआ, चौलाई, राजमा, काले भट्ट, मास, इन सबके लिये न्यूनतम खरीद मूल्य के साथ-साथ बोनस की योजना भी शुरू की और आपकी सरकार आयी, आपने बोनस की योजना को समाप्त कर दिया। हमारे समय में वर्ष 2016-17 में मडुवे का रकबा 10 प्रतिशत बढ़ा, जब आप आये तो मडुवे का रकबा आज 12 प्रतिशत घट गया है।
उन्होंने आगे लिखा कि- आज हमारे ही नाटक का परिणाम है कि एक बहुत समझदार वरिष्ठ अधिकारी ने अपने विभाग की मैस में उत्तराखंडी व्यंजनों को परोसना अनिवार्य कर दिया है। तो माननीय भगत जी आप द्वारा हमारा कथित नाटक ही लोगों के सोच और जीवन में परिवर्तन ला रहा है। वैसे नाटक तो आप भी अच्छा कर लेते हैं।
मनरेगा पर सीएम को लपेटा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मनरेगा में 100 दिन की मजदूरी को बढ़ाकर 150 दिन करने संबंधी निर्देश दिए थे। इस पर हरीश रावत ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी लपेटा। साथ ही इसे लागू करने में संदेह व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया में लिखा कि-
अब भाजपा के मुख्यमंत्रियों को भी कांग्रेस की मनरेगा योजना तारणहार लग रही है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने 100 दिन से मनरेगा के कार्य दिवस बढ़ाकर के 150 दिन करने की घोषणा की है। यूँ केंद्र सरकार उनको अनुमति देगी, नहीं देगी इसमें संदेह है और फिर Trivendra Singh Rawat जी आपने अच्छा सोचा। मगर आपको शायद यह ध्यान में नहीं है कि उत्तराखंड के अंदर 100 दिन के सापेक्ष लोगों को केवल 37 दिन मनरेगा में काम मिल रहा है। पहले इस सापेक्षता के प्रतिशत बढ़ाइये, फिर 150 दिन कार्य दिवस बढ़ाने का ढोल पीटिये और ऐसा आप करते हैं तो हम आपको शाबाशी भी देंगे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।