हरक सिंह रावत ने फिर छोड़े शब्द बाण, कहा-कुछ भाग्य की खाते हैं, त्रिवेंद्र ने बहुगुणा की तारीफ की तो कर सकते हैं मेरी भी
अब हरक सिंह रावत ने नए बयान में ने कहा कि कांग्रेस के लिए वह बागी हो सकते हैं, लेकिन भाजपा के लिए वह लोकतंत्र के रक्षक हैं।

हरक सिंह रावत कांग्रेस से बगावत करके भाजपा में शामिल हुए थे। हालांकि वह भाजपा पृष्ठभूमि के रहे। क्योंकि यूपी के समय वह भाजपा विधायक भी रहे। हरीश रावत के साथ ही पूर्व सीएम विजय बहुगुणा और कई कांग्रेसियों ने भाजपा का दामन थामा था। भाजपा में आने के बाद कई भाजपा कार्यकर्ता और नेता उन्हें पचा नहीं पाए। इसके विपरीत हरक सिंह रावत और रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ विरोधियों को लोहा मनाते रहे। कारण ये भी है कि कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल होने वालों में इतना मादा है कि वे अपने बूते चुनाव तक जीतने में सक्षम हैं। क्योंकि अपने क्षेत्र में इनकी पकड़ मजबूत है। लोगों में इन पर विश्वास है। हाल ही में हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाओं के बीच उनसे पूर्व सीएम विजय बहुगुणा मिले। इस मुलाकात के बाद हरक ने यहां तक कह दिया कि पांच साल तक बहुगुणा उनके यहां एक प्याली चाय तक पीने नहीं आए।
अब हरक सिंह रावत ने नए बयान में ने कहा कि कांग्रेस के लिए वह बागी हो सकते हैं, लेकिन भाजपा के लिए वह लोकतंत्र के रक्षक हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को उनके भाजपा में आने पर इतनी परेशानी है, तो वह तभी कह देते जब वह भाजपा में आ रहे थे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कम मेहनत कर भाग्य की रोटी खाते हैं। कुछ लोग ज्यादा मेहनत करते हैं, लेकिन उन्हें अपेक्षित स्थान नहीं मिलता।
डिफेंस कालोनी स्थित आवास में गुरुवार को पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने यहां सबसे मुलाकात की। उन्होंने अगले 15 दिनों के संभावित घटनाक्रम के बारे में जो बयान दिया, वह संभवतया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के मद्देनजर दिया होगा। उन्होंने कहा कि इस दौरान बड़ी संख्या में लोग भाजपा से जुड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें राजनीति करते हुए 40 साल हो गए हैं। हरक के मुताबिक उन्होंने देखा है कि कुछ लोग भाग्य की रोटी खाते हैं। उनके भाग्य ने उनका इतना साथ नहीं दिया, जितना दूसरों के भाग्य ने दिया।
उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत 2002 में पहली बार चुनाव जीते और 2017 में मुख्यमंत्री बने। पुष्कर सिंह धामी 2012 में चुनाव जीते और 10 साल में मुख्यमंत्री बन गए। सभी ने मेहनत की, लेकिन भाग्य का साथ कुछ को ही मिला। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा विजय बहुगुणा की तारीफ करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिसके मुंह से तारीफ कम निकलती है, वह किसी की तारीफ करे तो अच्छा लगता है। आज विजय बहुगुणा की तारीफ की है, हो सकता है कि कल मेरी भी करेंगे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।