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March 12, 2025

ज्ञानवापी मस्जिद केसः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जिला जज करें मामले की सुनवाई, आठ हफ्ते तक लागू रहेगा अंतरिम आदेश

यूपी के वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में ट्रायल कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामला जिला जज को ट्रांसफर किया। ट्रायल कोर्ट तय करेगा कि हिंदू पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं।

यूपी के वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में ट्रायल कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामला जिला जज को ट्रांसफर किया। ट्रायल कोर्ट तय करेगा कि हिंदू पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं। मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि वाराणसी जिला जज मामले की सुनवाई करेंगे। 17 मई को दिया गया अंतरिम आदेश 8 हफ्तों तक लागू रहेगा। वजू की व्यवस्था जिलाधिकारी कर चुके हैं। डीएम एक बार याचिकाकर्ताओं से भी मशविरा कर समुचित इंतजाम करें। वाराणसी जिला कोर्ट के 16 मई आदेश पर हमारा 17 मई का आदेश प्रभावी होगा।
गौरतलब है कि SC ने 17 मई को ‘शिवलिंग’ को संरक्षित करने और नमाज की इजाजत दी थी। अब ‘शीर्ष अदालत’ में ग्रीष्मावकाश के बाद जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई होगी। जिला जज पहले मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर फैसला करेंगे कि ये वाद 1991 ऐक्ट का उल्लंघन है या नहीं। तीन जजों, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट में आज यह सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि पहले 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के उल्लंघन बताने वाली मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई हो। तब तक सुप्रीम कोर्ट का शिवलिंग क्षेत्र को सुरक्षित रखने और नमाज न रोकने के आदेश जारी रहे।
मुस्लिम पक्षकारों के वकील हुजैफा अहमदी ने इसका विरोध किया। उन्‍होंने कहा कि इसे सिर्फ एक मामले के नजरिए से न देखें। इसका असर चार-पांच मस्जिदों के मामले में पड़ेगा ये बड़ी पब्लिक शरारत है। ये धार्मिक इमारत के चरित्र को बदलने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश है। उन्‍होंने कहा कि अब तक जो भी आदेश ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए हैं वो माहौल खराब कर सकते हैं। कमीशन बनाने से लेकर अब तक जो भी आदेश आए हैं अब तक जो भी आदेश ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए हैं वो माहौल खराब कर सकते हैं।
कमीशन बनाने से लेकर अब तक जो भी आदेश आए हैं। उसके जरिए दूसरे पक्षकार गड़बड़ कर सकते हैं। स्टेटस को यानी यथा स्थिति बनाए रखी जा सकती है। पांच सौ साल से उस स्थान को जैसे इस्तेमाल किया जा रहा था उसे बरकरार रखा जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने जो महसूस किया, वह सबसे पहले हम आदेश 7 नियम 11 पर निर्णय लेने के लिए कहेंगे। जब तक यह तय नहीं हो जाता है कि हमारा अंतरिम आदेश संतुलित तरीके से लागू रहेगा।
कोर्ट ने कहा- सभी के हित सुनिश्चित किए जाएंगे
कोर्ट ने कहा कि मामला जिला जज के पास भेजा जाए। उनके पास 25 साल का लंबा अनुभव है। इस मामले में सभी पक्षों के हित को सुनिश्चित किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह न समझा जाए कि हम मामले को निरस्त कर रहे हैं। आपके लिए आगे भी हमारे रास्ते खुले रहेंगे।
रिपोर्ट लीक कर माहौन बिगाड़ने की साजिश
मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि रिपोर्ट लीक कर माहौल बिगाड़ने की साजिश रची जा रही है।इस पर कोर्ट ने सख्त ऐतराज जताया और यह निर्देश दिया कि इस पर रोक लगाई जाए।
कोर्ट में हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की दलील
कोर्ट में हिंदू पक्षकार की ओर से सीनियर वकील वैद्यनाथन और मुस्लिम पक्ष की ओर से मस्जिद कमेटी के वकील हुजेफा अहमदी ने दलीलें पेश कीं। हिंदू पक्ष ने कहा कि कमीशन की रिपोर्ट आ गई है। पहले उसे देखा जाए। इसके बाद ही फैसले पर विचार हो। मुस्लिम पक्ष ने जवाब में कहा कि सर्वे को लेकर जो भी निर्देश दिए गए हैं, वो अवैध है। इसलिए इसे निरस्त किया जाए। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि 15 अगस्त 1947 के समय ज्ञानवापी विवादित नहीं था। ऐसे में इस पर कोई भी फैसला नहीं दिया जाना चाहिए।
मुस्लिम पक्ष ने लोअर कोर्ट के फैसले को भी अवैध बताया। वहीं हिंदू पक्ष ने कहा कि पहले रिपोर्ट देख लीजिए। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे रिपोर्ट लीक करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि देश में एक नैरेटिव तैयार किया जा रहा है। इससे संप्रदायिक तनाव बढ़ेगा। इसे सिर्फ एक केस न मानें, देश में बड़ा प्रभाव डालेगा।
मुस्लिम पक्ष ने कहा कि मस्जिद के भीतर नमाज पढ़ने में दिक्कत हो रही है। अंदर के एरिया को सील कर दिया गया है। इसपर भी ध्यान दिया जाए। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि हम आपके सामने अयोध्या मामले में जो फैसला आया था, उसका उदाहरण देना चाहते हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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