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April 24, 2025

आज से शुरू हो गए गुप्त नवरात्र, इस बार बन रहा है शुभ योग, जानिए पौराणिक कथाः आचार्य डॉ. सुशांत राज

विक्रम संवत 2077 के तीसरे नवरात्र और दूसरे गुप्त नवरात्र आज शु्क्रवार 12 फरवरी से शुरू हो गए हैं। यह नवरात्र 21 फरवरी तक चलेंगे। हिंदू धर्म में माघ महीने का विशेष महत्व है।

विक्रम संवत 2077 के तीसरे नवरात्र और दूसरे गुप्त नवरात्र आज शु्क्रवार 12 फरवरी से शुरू हो गए हैं। यह नवरात्र 21 फरवरी तक चलेंगे। हिंदू धर्म में माघ महीने का विशेष महत्व है। इस महीने की नवरात्र को बहुत खास माना जाता है। इस नवरात्र में व्यक्ति ध्यान-साधना करते हैं। ज्योतिषाचार्य आचार्य डॉ. सुशांत राज ने बताया कि गुप्त नवरात्र में मां भगवती की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्र का महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्र से ज्यादा होता है। क्योंकि, गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होती हैं। बताया कि इस बार छठ तिथि में बढ़ोतरी होने के चलते नवरात्र नौ के बजाय 10 दिन के होंगे। इन 10 दिनों में कई विशिष्ट योग भी रहेंगे। इसमें किसी तरह की खरीदारी और शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
साल में चार बार आती है नवरात्रि
हिन्दू माह के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है। चार बार का अर्थ यह कि यह वर्ष के महत्वपूर्ण चार पवित्र माह में आती है। यह चार माह माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन हैं। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि कहते हैं। तुलजा भवानी बड़ी माता है तो चामुण्डा माता छोटी माता है। दरअसल, बड़ी नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और छोटी नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं। दोनों के बीच 6 माह की दूरी है।

बाकी बची दो आषाढ़ और पौष-माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। यह नवरात्रि साधना के लिए महत्वपूर्ण होती है। जिसमें कि आषाढ़ सुदी प्रतिपदा (एकम) से नवमी तक दूसरा पौष सुदी प्रतिप्रदा (एकम) से नवमी तक। ये दोनों नवरात्रि युक्त संगत है। क्योंकि ये दोनों नवरात्रि अयन के पूर्व संख्या संक्रांति के हैं। यही नवरात्रि अपने आगामी नवरात्रि की संक्रांति के साथ-साथ मित्रता वाली भी हैं, जैसे आषाढ़ संक्रांति मिथुन व आश्विन की कन्या संक्रांति का स्वामी बुध हुआ और पौष संक्रांति धनु और चैत्र संक्रांति मीन का स्वामी गुरु है। अत: ये चारों नवरात्रि वर्ष में 3-3 माह की दूरी पर हैं। कुछ विद्वान पौष माह को अशुद्ध माह नहीं गिनते हैं और माघ में नवरात्रि की कल्पना करते हैं। किंतु चैत्र की तरह ही पौष का महीना भी विधि व निषेध वाला है अत: प्रत्यक्ष चैत्र गुप्त आषाढ़ प्रत्यक्ष आश्विन गुप्त पौष माघ में श्री दुर्गा माता की उपासना करने से हर व्यक्ति को मन इच्छित फल प्राप्त होते हैं।
बन रहा है शुभ योग
इस बार नवरात्रि पर बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं। सर्वार्थसिद्धियो, त्रिुपष्कर अमृतसिद्धि और राजयोग रहेंगे। इन दस दिनों में एक तरफ मां की पूजा अर्चना विशेष फलदायी रहेगी, वहीं इन दिनों में इन शुभ योगों के कारण कोई भी मंगलकार्य शुरू हो सकते हैं। इसके अलावा इन 10 दिनों में भवन, वाहन आदि की खरीददारी भी शुभ रहेगी। अगर आप भी गुप्त नवरात्रि पर पूजा कर रहे हैं तो प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना सुबह 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 59 मिनट तक होगी। इस दौरान माता के पूजा अर्चना विशेष फलदायी है।

मुहूर्त
नवरात्रि शुरू 12 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार
नवरात्रि समाप्त 21 फरवरी 2021 दिन रविवार
कलश स्थापना मुहूर्त- सुबह 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 59 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक।
गुप्त नवरात्र का पौराणिक महत्व
धार्मिक कथाओं के अनुसार, एकबार एक महिला श्रृंगी ऋषि के पास आई और अपने कष्टों के बारे में बताया। महिला ने हाथ जोड़कर ऋषि से कहा कि मेरे पति दुर्व्यसनों से घिरे हुए हैं और इस कारण कोई धार्मिक कार्य, व्रत या अनुष्ठान नहीं कर पा रही। ऐसे में क्या करूं कि मां शक्ति की कृपा मुझे प्राप्त हो और मुझे मेरे कष्टों से मुक्ति मिले। तब ऋषि ने महिला के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए गुप्त नवरात्र में साधना करने के लिए कहा था। ऋषिवर ने गुप्त नवरात्र में साधना की विधि बताते हुए कहा कि इससे तुम्हारा सन्मार्ग की तरफ बढ़ेगा और तुम्हारा पारिवारिक जीवन खुशियों से भर जाएगा।
की जाती है दुर्गा की पूजा
माघ मास के गुप्त नवरात्रि कल यानी 12 फरवरी से शुरू हो रहे हैं। तंत्र और मंत्र की साधना और मनोकामना पूर्ति के लिए रखे जाने वाले इन नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में मां दु्गा की नौ शक्तियों और दस महाविद्यायों की पूजा होती है।
मां दुर्गा जी के इन स्वरूपों की होती है पूजा
मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी यह दस महाविद्याओं की पूजन होती है।
मां दुर्गा की गुप्त नवरात्रि में ऐसे करें पूजा
कहते हैं कि गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा जी की आधी रात में पूजा करते हैं। मां दुर्गा जी की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित की जाती है। इसके बाद मां के चरणों में पूजा सामग्री को अर्पित किया जाता है। मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है साधक अनेक प्रकार से माँ को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह की साधनाये करते है।
गुप्त नवरात्रि के दौरान गुप्त तरीके से ध्यान-साधना करके दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त कर सकता है और इस समय की गई साधना शीघ्र फलदायी भी मानी जाती है। माघ मास की गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है जो पूजा करने वाले साधक को कार्य सिद्धि प्रदान करती हैं।
ये लगाएं भोग
गुप्त नवरात्रि के दौरान अखंड जोत प्रज्वलित करके सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है और दुर्गा सप्तशति या दुर्गा चालीसा का पाठ और ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप भी किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान मां भगवती को लौंग और बताशे का भोग लगाना चाहिए।
आचार्य का परिचय
नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शनि मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।
मो. 9412950046

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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