ग्राफिक एरा के कुलपति डॉ. नरपिंदर सिंह को मिला देश के स्कॉलर में पहला स्थान, जानिए उनके बारे में
देहरादून। विश्व भर के स्कॉलर्स को रैंकिंग देने वाले स्कॉलर जीपीएस ने ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. नरपिंदर सिंह को फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी की कैटेगरी में देश में पहला स्थान दिया है। इसके साथ ही डॉ. नरपिंदर सिंह को एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड नेचुरल रिसोर्सेस की कैटेगरी में देश में दूसरा स्थान मिला है। वहीं, उन्हें फूड केमेस्ट्री की कैटेगरी में 37वां स्थान दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके अलावा स्कॉलर जीपीएस ने विश्व रैंकिंग में डॉ. सिंह को एग्रीकल्चर साइंसेज एंड नेचुरल रिसोर्सेस की लाइफटाइम कैटेगरी में 429वा स्थान दिया है और पिछले पांच वर्षों की कैटेगरी में 169वा स्थान दिया है। स्कॉलर जीपीएस ने एग्रीकल्चरल साइंस एंड नेचुरल रिसोर्सेज के क्षेत्र में योगदान देने के लिए डॉ. नरपिंदर सिंह को 0.05% स्कॉलर्स की सूची में भी शामिल किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्कॉलर जीपीएस विश्व भर के स्कॉलर्स और संस्थानों को विभिन्न क्षेत्रों में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन और योगदान के लिए रैंकिंग देता है। स्कालर्स को यह रैंकिंग पब्लिकेशंस, साइटेशंस व एच- इंडेक्स के मूल्यांकन के आधार पर दी जाती है।
ग्राफिक एरा ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. कमल घनशाला ने डॉ. सिंह की इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि डॉ. नरपिंदर सिंह के शोध कार्य कृषि और विज्ञान के क्षेत्र में नए मानक स्थापित कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रो. नरपिंदर सिंह के बारे में
वेब ऑफ साईंस की दुनिया के प्रमुख एक प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में शामिल डॉ नरपिंदर सिंह जापान, अमेरिका, ब्रिटेन और चीन के नामचीन विश्वविद्यालयों से जुड़े रहे हैं। शिक्षा और शोध के क्षेत्र में अनेक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे गए डॉ. सिंह ने 34 वर्षों में इस क्षेत्र में एक बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. नरपिंदर सिंह को शोध पत्रों के मामलों में गूगल स्कॉलर में 83 का एच इंडेक्स हासिल करने का गौरव प्राप्त है। उनके 23 हजार से ज्यादा साइटेशन हैं। 1993 में गुरू नानक देव विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में शिक्षा क्षेत्र में पदार्पण करने वाले डॉ. सिंह को 1994 में कॉमन वैल्थ स्कॉलरशिप से नवाजा गया था। फूड प्रोसेसिंग में आउट स्टैंडिंग रिसर्च के लिए उन्हें वर्ष 1997 में प्राण वोहरा अवार्ड मिला था। वर्ष 2000 में वे फूड साईंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर बन गये थे। वह कई वर्ष डीन और कॉर्डिनेटर भी रहे। दिसम्बर, 2022 में उन्होंने गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर में सेवा की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. सिंह को देश के तमाम प्रतिष्ठित पुरस्कारों के साथ ही स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दो साल पहले कैमिस्ट्री में दुनिया के दो प्रतिशत सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया था और भारत में 18 वीं पोजिशन दी। वह विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में ओसाका सिटी यूनिवर्सिटी जापान के फूड एंड ह्यूमन हैल्थ साईंसेज विभाग, स्टेट यूनिवर्सिटी अमेरिका के ग्रेन साईंस एंड इंडस्ट्री डिपार्टमेंट, यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजिलिया नार्वविच ब्रिटेन के स्कूल ऑफ कैमिकल साईंसेज एंड फार्मेसी और साऊथ चायना यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के स्कूल ऑफ फूड साईंस एंड इंजीनियरिंग से जुड़े रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्हें एक्सीलेंस इन कार्बोहाइड्रेट रिसर्च अवार्ड 2016, सीएनआर राव एजुकेशनल फाउंडेशन अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन रिसर्च 2007, एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य के लिए नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर साईंस से भी अवार्ड मिल चुका है। उन्हें एसोसिएशन ऑफ फूड साईंटिस्ट एंड टेक्नोलॉजिस्ट, नेशनल एकेडमी ऑफ साईंसेज, इंडियन नेशनल साईंस एकेडमी और नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साईंसेज से फैलोशिप मिल चुकी है। उन्हें विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग से जे सी बोस नेशनल फैलोशिप भी मिली है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।