शिक्षा विभाग में मिनिस्ट्रियल कार्मिकों की प्रोन्नति को शासन की सशर्त स्वीकृति, शिक्षकों की काउंसलिंग की अनिवार्यता की मांग
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उत्तराखंड शासन ने शिक्षा विभाग में मिनिस्ट्रियल कार्मिकों की विभागीय प्रोन्नति और स्थानांतरण को लेकर विभाग की ओर से विभाग के प्रस्ताव को सशर्त स्वीकृति दे दी है। ये स्वीकृति लिपिकों और नान टीचिंग स्टाफ के लिए प्रदान की गई है। वहीं, जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ ने समस्त कार्मियों के लिए प्रोन्नति और स्थानांतरण में काउंसलिंग की अनिवार्यता की मांग को दोहराया है।
शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने आज नौ जुलाई को इस संबंध में प्रारंभिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के निदेशक को इस संबंध में आदेश पत्र जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि उत्तराखंड के लोकसेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 की धारा-18(2) के प्रवाधान के अंतर्गत मिनिस्ट्रियल संवर्ग में प्रोन्नति पर पदस्थापना काउंसलिंग के माधयम से की जाएगी। दुर्गम क्षेत्र में 10 वर्ष से अधिक अवधि की सेवा पूर्ण करने वाले कार्मिकों की
ग्रेडिंग सूची उनके द्वारा दुर्गम क्षेत्र में की गई कुल सेवा अवधि के आधार पर अवरोही क्रम में तैयार की जाएगी। तथा दुर्गम क्षेत्र में 10 वर्ष से कम अवधि की सेवा करने वाले कार्मिकों की सूची उनके द्वारा सुगम क्षेत्र में की गई कुल सेवा अवधि के अवरोही क्रम में तैयार की जायेगी। उपरोक्तानुसार वरीयता क्रम (अधिकतम सेवा अवधि के आधार पर) में क्रमशः सुगम व दुर्गम में तैनाती की जायेगी।
आदेश में कहा गया है कि सर्वप्रथम पोन्नति पर पदस्थापना हेतु स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 की धारा-7 के खंड (घ) के प्रतिबंधों के अधीन कार्मिकों को काउंसिलिंग के माध्यम में सुगम क्षेत्र के विद्यालयो व कार्यालयों के चयन के लिए निम्नवत क्रम मे अवसर प्रदान किया जायेगा।
-सर्वप्रथम ऐसे कार्मिकों को स्थल आवंटित किया जाएगा जो स्थानांतरण अधिनियम 2017 की धारा -3 (घ) के अन्तर्गत गम्भीर रोग में आच्छादित हो तथा जो सक्षम प्राधिकारी का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करे। तत्पश्चात धारा-3 के अधीन विकलांगता की श्रेणी में आने वाले कार्मिक, जो कि सक्षम प्राधिकारी का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करें, को अवसर प्रदान किया जायेगा।
-तत्पश्चात ऐसे कार्मिक जिनके पुत्र/पुत्री स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 के अन्तर्गत विकलांगता को परिभाषा में सम्मिलित हो, एवं इसके उपरांत वरिष्ठ कार्मिक को श्रेणी में आने वाले कार्मिको को विद्यालय/कार्यालय आवंटित किया जायेगा।
-तत्पश्चात सैनिक तथा अर्द्धसैनिक बलों में तैनात कार्मिको को पति/पत्नी को विद्यालय व कार्यालय आवंटित किया जायेगा।
-इसके उपरांत ऐसे कार्मिक, जो दुर्गम क्षेत्र में पूर्व में ही न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हो।
-उक्त के अतिरिक्त मायन्ता प्राप्त सेवा संघों के जनपदीय अध्यक्ष, सचिव (जनपद में पद की उपलब्धता के दृष्टिगत स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 के अनुसार अनुमन्य श्रेणी में)।
-संबंधित कार्मिक को काउंसिलिंग में विद्यालय एवं कार्यालय आवंटन के लिए उक्तानुसार चक्रानुक्रम में अक्सर प्रदान किया जायेगा। उक्त कार्मिक स्वेच्छा से दुर्गम क्षेत्र के विद्यालयों व कार्यालयों का चयन भी कर सकेंगे।
-अवशेष कार्मिक, जिनके दुर्गम क्षेत्र को सेवा अवधि 10 वर्ष से कम हो तथा जो स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 की धारा-7 के खण्ड (घ) से आच्छादित नहीं है, को प्रस्तर-3 के अनुसार तैयार की गयी ग्रेडिंग सूची के क्रम में दुर्गम क्षेत्र के विद्यालय व कार्यालय के चयन का अवसर प्रदान किया जायेगा।
-यदि किसी कार्मिक द्वारा काउंसिलिंग में प्रतिभाग नहीं किया जाता है अथवा उनके द्वारा
नियमानुसार अनुमन्य स्थान का चयन नही किया जाता है, तो ऐसी स्थिति में संबंधित कार्मिक को नियमानुसार स्थान आवंटित कर दिया जायेगा।
-आदेश में कहा गया है कि उक्तानुसार प्रदेश के मिनिस्ट्रियल संवर्ग के कार्मिकों को विभागीय पदोन्नति में पदस्थापना काउंसलिंग के माध्यम से किये जाने के सम्बन्ध में आवश्यक अग्रेत्तर कार्यवाही करते हुए शासन को भी अवगत कराने का कष्ट करें।
शिक्षक संघ ने दोहराई काउंसलिंग की अनिवार्यता की मांग
उत्तराखंड में प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ उत्तराखंड ने कहा कि पूर्व में प्रदेश कार्मिक, शिक्षक हित में एक पारदर्शी एवं निष्पक्ष स्थानान्तरण अधिनियम बनाने की जोरदार पहल की गयी थी, किन्तु अधिनियम की मूल भावना को ही मार दिया गया है। इससे अधिनियम बनने के बाद न तो सफलता पूर्वक इसका क्रियान्वयन हो पाया और ना ही शिक्षकों को इसका लाभ मिल पाया है। संघ के प्रदेश महामंत्री राजेंद्र बहुगुणा ने कहा कि संगठन की ओर से सरकार से निरन्तर मांग की जा रही है कि पारदर्शी एवं निष्पक्ष स्थानान्तरणो के लिए अधिनियम में पदोन्नति- स्थानान्तरण में काउंसलिंग की अनिवार्यता बहुत जरूरी है। जिसे जानबूझ कर नजरअंदाज किया जा रहा है। इसे शिक्षकों पर भी लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज शासन द्वारा केवल मिनिस्ट्रीयल संवर्ग की विभागीय पदोन्नति पदस्थापना में काउंसलिंग का आदेश किया गया, जबकि स्थानान्तरण अधिनियम के अन्तर्गत समस्त कार्मिक के साथ ही शिक्षकों के लिए भी इसे अनिवार्य होना चाहिए। आज गम्भीर कैंसर पीड़ित शिक्षकों तक स्थानान्तरण नहीं मिल पा रहा है। अधिनियम की धारा 27 भी सरकार, शासन के प्रसाद प्रयन्त पर निर्भर है। वास्तविक जरुरतमंद इससे भी महरुम हैं।
बहुगुणा ने कहा कि प्रदेश में विद्यालयों की स्थिति सुगम से लेकर अतिदुर्गम तक स्थित है पूर्व नियमावली की भांति, उनकी ए, बी,सी, डी श्रेणीकरण, रिक्त पदों के सापेक्ष स्थानान्तरण, प्रारम्भिक शिक्षकों का जनपद काडर होने की दशा में विभागीय कारणों से अन्य जनपदों में सेवारत शिक्षकों को सेवाकाल में एक बार अपने मूल जनपद में स्थानान्तरण अवसर मिलना आवश्यक है। उन्होंने शासन से पुनः स्पष्ट किया कि लोक सेवकों के वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम बनाने के पीछे जो ध्येय था। उसे यथार्थ स्वरूप दिया जाए। तथा संगठन की न्यायोचित मांगों को अधिनियम में समाहित किया जाय।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।