सच का गला दबाने की सरकार की कोशिश हुई नाकाम, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सच को उजागर करने में मीडिया की अहम भूमिका होती है। बड़े मीडिया ने तो ये धर्म निभाना ही बंद कर दिया है, वहीं छोटे मीडिया में वेबसाइट, यूट्यूबर्स सहित सोशल मीडिया में कुछ लोग सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। खोजी पत्रकारिता कर रहे हैं। ऐसे मुद्दों को जनता के सामने ला रहे हैं, जिससे सरकार बार बार असहज हो रही है। ऐसे में सच का गला दबाने की सरकार ने पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे नाकाम कर दिया। खबर ये है कि फ़ैक्ट चेक यूनिट को लेकर केंद्र की अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। फिलहाल यदि सुप्रीम कोर्ट से इस पर रोक नहीं लगती तो चुनाव में ऐसे चैनल और वेबसाइट बड़ी संख्या में बंद हो सकते थे, जिनसे सरकार असहज हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फिलहाल सच ये है कि आलोचनाओं से सरकार डरी हुई है। सवाल ये है कि क्या सरकार आलोचना से डरी हुईहै। क्या सरकार की आलोचना करना या नीतियों का विरोध करना व्यक्ति का मौलिक अधिकार नहीं है। जब आवाज तो उठेगी तो ही लोकतंत्र की रक्षा होगी। क्या गरीब की बात करने, महंगाई, बेरोजगार आदि के मुद्दे उठाने, सरकार को उसके वायदे याद दिलाने वालों के खिलाफ ऐसे नियम लाए जाएंगे, जिससे सरकार के खिलाफ कोई ना बोल पाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना पर लगाई रोक
केंद्र द्वारा फेक न्यूज की चुनौती से निपटने के से नाम पर प्रेस सूचना ब्यूरो के तहत तथ्य जांच इकाई को अधिसूचित करने के एक दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अधिसूचना पर रोक लगा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च के हाईकोर्ट के रोक न लगाने के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट में नए IT रूल्स को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। इसमें मुख्य तौर पर बोलने की आजादी का मुद्दा उठाया गया है। अदालत ने कहा कि हम इस केस में मेरिट पर कुछ नहीं कहना चाहते। इस पर फैसला हाईकोर्ट को करना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तब तक नियमों पर रोक रहेगी। यह फैसला CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग
केन्द्र सरकार के नए IT रूल्स को चुनौती देने वाली स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिका में केन्द्र सरकार द्वारा पारित 2023 के सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम के तहत फैक्ट चेक यूनिट (FCU) बनाने के लिए केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की गई थी। 2023 के आईटी संशोधन नियम के तहत केंद्र सरकार का इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एक जांच निकाय बना सकता है, जिसके पास किसी भी गतिविधि के संबंध में झूठी या नकली ऑनलाइन खबरों की पहचान करने और टैग करने का अधिकार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
याचिका में कहा गया कि एफसीयू सोशल मीडिया कंपनियों को केंद्र सरकार के बारे में ऑनलाइन सामग्री की सेंसरशिप लागू करने के लिए मजबूर करेगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 11 मार्च को इस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को याचिकाकर्ताओं ने अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जजों की बेंच ने कहा कि हमारा विचार है कि ये पहली नजर में नियमों को लागू करने पर रोक लगाने का मामला बनता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
केंद्र ने बनाई थी फैक्ट चेक यूनिट
बता दें कि केंद्र सरकार ने इंटरनेट मीडिया पर फर्जी कंटेंट की पहचान करने के लिए फैक्ट चेकिंग यूनिट (एफसीयू) स्थापित की थी। आईटी नियम के संसोधन के मुताबिक केंद्र सरकार से जुड़ी ऐसी जानकारी को, जिसे FCU फर्जी पाएगा,सोशल मीडिया प्लेटफार्म को हटाना होगा अन्यथा उन्हें क़ानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा। बता दें कि केंद्र ने तथ्यों की जांच करने वाली इकाई को 2021 के आईटी नियमों के तहत अधिसूचित किया गया था। वहीं, आरोप लग रहे हैं कि इसकी आड़ में सही खबरों को भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से हटा दिया जाएगा। ऐसी खबरों को भी सरकार हटाएगी, जो सरकार से सवाल पूछने वाली हों। या फिर जिनसे सरकार असहज होती हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फर्जी खबरों से निपटने के लिए बनी फेक्ट चेक यूनिट
अधिसूचना में कहा गया था, “केंद्र सरकार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रेस सूचना ब्यूरो के तहत तथ्य जांच इकाई को केंद्र सरकार की तथ्य जांच इकाई के रूप में अधिसूचित करती है। तथ्य जांच इकाई केंद्र सरकार से संबंधित सभी फर्जी खबरों या गलत सूचनाओं से निपटने या सचेत करने के लिए नोडल एजेंसी होगी। यह अधिसूचना बंबई उच्च न्यायालय द्वारा केंद्र को इकाई को अधिसूचित करने से रोकने से इनकार करने के कुछ दिन बाद आई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की अधिसूचना पर रोक लगा दी है।
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