उत्तराखंड का पर्यावरण बिगाड़ रही सरकार, खलंगा में दो हजार पेड़ों की रक्षा को लेकर सामाजिक संगठनों का विरोध
उत्तराखंड की सरकार पर ही पर्यावरण बिगाड़ने के के आरोप लग रहे हैं। देहरादून पहले सड़कों के चौड़ीकरण को लेकर सहस्त्रधारा रोड हो या फिर कोई दूसरी सड़क। इस दौरान सैकड़ों पेड़ों की बलि दी गई है। इसी तरह पर्वतीय इलाकों में भी कई बड़े प्रोजेक्ट के लिए पेड़ों का कटान किया गया। हालात ये हैं कि इस बार देहरादून की गर्मी रिकार्ड तोड़ रही है। अब देहरादून के खलंगा के जंगल में सौंग परियोजना के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के नाम पर साल के करीब दो हजार हरे पेड़ों को काटे जाने की तैयारी है। इस योजना का कड़ा विरोध शुरू हो गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज रविवार दो जून को भी विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने खलंगा पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान पेड़ों की रक्षा का संकल्प लेते हुए पेड़ों पर रक्षा सूत्र के रूप में पटके भी बांधे गए। अब पांच जून को इस योजना के विरोध में गांधी पार्क में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। कारण ये है कि खलंगा में करीब दो हजार पेड़ों पर लाल निशान लगा दिए गए हैं। ये लाल निशान वन क्षेत्र में एक बड़ा जलाशय बनाने के लिए 2 हजार पेड़ों को काटने के लिए लगाए जा रहे हैं। इस कारण सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण प्रेमी, युवा और अन्य संगठन इस फैसले का जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज रविवार दो जून को पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार खलंगा के जंगलों को बचाने के लिए काफी लोग खलंगा में एकत्रित हुए। इस दौरान पेड़ों के कटान की योजना का विरोध किया गया। साथ ही पेड़ों की सुरक्षा का संकल्प लिया। सामाजिक कार्यकर्ता जयदीप सकलानी, पर्यावरण प्रेमी चंदन सिंह नेगी, सतीश धौलखंडी, जयकृत कंडवाल आदि ने जनगीत के माध्यम से सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर बैंक यूनियन के पूर्व अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता जगमोहन मेंदीरत्ता ने देहरादून के बदलते मौसम के कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने जलनिगम के अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग के बारे में विस्तार से बताया कि किस प्रकार जनदबाव के कारण अभी उस प्रोजेक्ट की गति धीमी पड़ी हुई है। कम्युनिस्ट नेता हरिओम पाली, गणेश धामी आदि के साथ साथ महाकाल संस्था भी आज अपने सदस्यों के साथ खलंगा बचाओ अभियान में शामिल हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम में बालकिशन शर्मा, हेम राज उपस्थित थे। जगमोहन मेंदीरत्ता ने बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस पांच जून सुबह सात बजे गांधी पार्क में सभी सामाजिक संगठन एकत्र होंगे। इस दौरान पेड़ों के कटान का विरोध किया जाएगा। साथ ही ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने का संकल्प लिया जाएगा। गांधी पार्क को पीपी मोड पर देने के निर्णय का विरोध किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बिगड़ा पर्यावरण और गर्मी ने बनाए रिकॉर्ड
उत्तराखंड में पेड़ों के धड़ाधड़ कटान का असर पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। पिछले कई दिनों से देहरादून का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह रहा था। शुक्रवार 31 मई को दून का अधिकतम तापमान सात डिग्री की बढ़ोतरी के साथ 43.2 दर्ज किया गया था। मौसम विभाग एक जनवरी 1867 से देहरादून में तापमान की गणना कर रहा है, इसमें 43.2 डिग्री मई में अब तक का सबसे अधिक तापमान है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।