सहकारी समितियों के चुनाव में उच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना कर रही सरकारः डॉ. केएस राणा

उत्तराखंड प्रदेश कांगेस कमेटी के महामंत्री एवं जिला सहकारी बैंक देहरादून के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केएस राणा ने भाजपा सरकार पर सहकारी समितियों के चुनावों में धांधली का अरोप लगाया। साथ ही उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने भी आरोप लगाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय देहरादून में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर सहकारी समितियों के चुनाव प्रारम्भ हुए, लेकिन सरकार ने समितियों के पुराने सदस्यों को चुनाव में भाग ना लेने के आदेश जारी करते हुए उन्हें मताधिकार से वंचित कर दिया था। उन्होंने कहा कि इस पर कुछ लोगों ने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की थी। इस पर उच्च नयायालय ने सरकार को निर्देशित किया कि चुनाव पुरानी पद्वति के आधार पर ही कराये जाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भाजपा सरकार ने उच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना कर नई पद्वति से ही चुनाव कराने की घोषण कर दी। इसके अनुसार 2021 से पूर्व बने हुए सदस्यों को विगत तीन वर्षो में समिति से लेन देन ना होने की स्थिति में मताधिकार से वंचित किया गया। 2021 के बाद बने सदस्यों को लेनदेन की बाधिता से मुक्त रखा गया। इस प्रकार चुनाव कार्यक्रम की घोषणा 11 फरवरी 2025 को कर दी गई और तद्नुसार 24 एवं 25 फरवरी को चुनाव में मतदान तिथि घोषित की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि 24 फरवरी को समिति के संचालक मंडल चुनाव सम्पन्न हो गये। 25 फरवरी को समिति के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष तथा अन्य समितियों को भेजे जाने वाले प्रतिनिधियों का निर्वाचन किया जाना था, परन्तु 24 फरवरी की रात्रि 10 बजे यह सूचना प्राप्त हुई कि 25 फरवरी को होने वाले चुनाव स्थगित कर दिये गये हैं। सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण से इसका कारण जानने का प्रयास किया गया परन्तु विभाग द्वारा कोई कारण नही बताया गया, जबकि चुनाव को स्थगित करने का कोई आदेश उच्च न्यायालय का नही था। साथ ही सहकारी समिति अधिनियम के नियम 17 में स्पष्ट उल्लेख है कि चुनाव प्रारम्भ होने के बाद किसी भी दशा में चुनाव स्थगित नही किये जा सकते। परन्तु भाजपा सरकार की हठधर्मिता और निरंकुशता के चलते सहकारी समिति अधिनियम एवं उच्च न्यायालय के निर्देशों को धता बताकर मनमाने तरीके से चुनाव स्थगित कर दिये गये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी भाजपा सरकार के अधिकारियों द्वारा 24 फरवरी के मतदान के समय को भी बिना किसी पूर्व सूचना के बदलकर प्रातः 9 बजे के बजाय 11 बजे से प्रारम्भ किया गया। पूर्व में निर्धारित निर्वाचन कार्यक्रम में उद्घोषणा के बाद किसी प्रकार का परिवर्तन नही किया जा सकता। डॉ. राणा ने कहा कि सहकारी समिति अधिनियम की धारा 34 के अनुसार राज्य सरकार अपने प्रतिनिधि के रूप में प्रत्येक समिति में 2 व्यक्तिों को नाम निर्दिष्ट कर सकती है। इसमें से एक प्रतिनिधि सरकारी सेवक होगा जिसे मतदान का अधिकार नही होगा। परन्तु भाजपा सरकार ने ना तो अधिनियम की परवाह की और ना ही उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन किया। यह सरकार समिति में अपना बहुमत बनाने के लिए धारा 34 का उलंघन करके मनमाने तरीके से अधिक संख्या में व्यक्तियों के नाम जोडने का काम करती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री बिरेन्द्र पोखरियाल, सहाकरी संघ के राष्ट्रीय निदेशक मानवेन्द्र सिंह, उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी, प्रवक्ता सुजाता पॉल, गिरिराज हिन्दवान, डॉ. प्रतिभा सिंह आदि उपस्थित थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।