सरकार ने बिगाड़ा देहरादून का पर्यावरण, पर्यावरण प्रेमी हुए एकजुट, 23 जून को निकालेंगे पैदल मार्च
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में इस बार गर्मी हर दिन रिकॉर्ड बना रही है। मई माह में तो तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के पार हो गया था। वहीं, जून माह में भी लगातार कई दिन से अधिकतम तापमान 42 डिग्री के पार चल रहा है। इस बिगड़ते पर्यावरण के लिए पर्यावरण प्रेमी सरकार को ही जिम्मेदार मान रहे हैं। उनका मानना है कि बड़े पैमाने पर सड़क या अन्य निर्माण के चलते पेड़ों की बलि दी जा रही है। पहले सहस्त्रधारा रोड पर सड़क चौड़ीकरण के नाम पर हजारों पेड़ों को काटा गया। फिर खलंगा में भी पेड़ों पर आरी चलाने की तैयारी है। अब एक और नई मुसीबत सामने आ रही है। कैंट रोड पर भी करीब 200 पेड़ों पर आरी चलाने की तैयारी चल रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पर्यावरण प्रेमी हर रविवार की सुबह को गांधी पार्क पर एकत्र होकर देहरादून के पर्यावरण बचाने का संकल्प लेते हैं। आज रविवार की सुबह सात बजे गांधी पार्क में पर्यावरण प्रेमी एकत्र हुए और महात्मा गांधीजी की प्रतिमा के आगे देहरादून के पर्यावरण को बचाने के लिए आंदोलन का निर्णय किया गया। इस मौके पर पर्यावरण को बचाने के लिए नारे लगाए गए। बताया गया कि दिलाराम बाजार से कैंट रोड पर सेंट्रियो मॉल तक करीब 200 पेड़ों को काटने की योजना है। इसका हर हाल में विरोध किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तय किया गया कि 23 जून को दिलाराम बाजार से सेंट्रियो मॉल तक पर्यावरण प्रेमी पैदल मार्च निकालेंगे। इसमें भाग लेने की दून की जनता से भी अपील की गई है। साथ ही कहा कि इन पेड़ों को बचाएं, अन्यथा अगले वर्ष पारा 50 डिग्री तक झेलने के लिए तैयार रहें। कहा गया कि ये एक पदयात्रा है। इसमें हर किसी को भाग लेना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तर्क दिया गया कि यदि हम वास्तव में चाहते हैं कि पेड़ों की बड़े पैमाने पर और अंधाधुंध कटाई को तुरंत रोका जाए। दिलाराम से सेंट्रियो मॉल तक चिह्नित 200 पेड़ों को काटने से बचाने को आगे आना होगा। हमारा देहरादून सहस्त्रधारा रोड प्रकरण दोबारा नहीं झेल सकता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि हरित आवरण का नुकसान और बढ़ता कंक्रीटीकरण शहरी ताप द्वीप प्रभाव को बढ़ा रहा है। देहरादून में 43°C तापमान की असहनीय स्थिति कंक्रीटीकरण का परिणाम है। इससे पानी की कमी, हवा, शोर, भोजन हर तरह का बढ़ता प्रदूषण चिंता को बढ़ा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दून अपनी अनूठी प्रकृति, अपनी यूएसपी खो रहा है। दून की प्रसिद्ध बासमती के ख़त्म हो गई है। लीची के बगीचे ख़त्म हो गए। जलस्रोत गंदे हो गए और उन पर अतिक्रमण हो गया। एक्सप्रेसवे और अधिक से अधिक सड़कों के लिए साल के जंगलों को नष्ट किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यदि हम वास्तव में चाहते हैं कि हमें गंभीरता से लिया जाए और हमारी मांगों को सुना जाए। ऐसे में इस आंदोलन में सबको सहयोग करना चाहिए। घर बैठे और ऑनलाइन सरकार की आलोचना करना, शिकायत करना और गलतियाँ ढूँढने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे में वॉक में शामिल हों और परिवार और दोस्तों को साथ लाएँ। अपने देहरादून के पर्यावरण को बचाएं। दून की भलाई में ही हमारी भलाई है। हमारी आने वाली पीढ़ियों का अस्तित्व और जीवन की गुणवत्ता इसमें निहित है। आज की सभा में जया, इरा चौहान, रश्मि सहगल, रुचि सिंह, अरंजिका, राधा बोस, जगमोहन मेंदीरत्ता, हरि ओम पाली, विजय भट्ट, मुकेश नॉटियाल, अनिल जग्गी आदि शामिल थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
Besharmi is baat ki hai ki mukhyamantri se lekar vibhag ke sabhi bare adhikari nikamme hai…
Is khabar ko parte hi mukhyamantri ko aage aana chaihiye. Or is muhim ko prerit kar ke peron ko katne se rokna hoga.
Is ke liye kewal or kewal mukhyamantri or unki team jimedaar hai…. Janta nahi… aise logonko vote kyon dete hain. Jo apne pradesh ka dhyan nahi rakh sakte…
Besharmi is baat ye hai ki mukhyamantri se lekar vibhag ke sabhi bare adhikari nikamme hai…
Is khabar ko parte hi mukhyamantri ko aage aana chaihiye. Or is muhim ko prerit kar ke peron ko katne se rokna hoga.
Is ke liye kewal or kewal mukhyamantri or unki team jimedaar hai…. Janta nahi… aise logonko vote kyon dete hain. Jo apne pradesh ka dhyan nahi rakh sakte…
मगर हम ही ने तो इनको चुना है। हम खुश हो जाते हैं कि खूब चौड़ी सड़कें बन रही हैं। पर्यावरण की हमें कहां चिंता है, हम तो आंख बंद कर वोट देते हैं। सरकार कुछ सुनने वाली नहीं है।
चुनने का मतलब ये नहीं कि गलत ka विरोध ना करें Dehradun की नैसर्गिक सुंदरता खत्म होती जा रही है हर तरफ कांक्रीट का जंगल…..विकास के नाम पर विनाश हो रहा….जिसका खामियाजा हमारी आने वाली पीढ़ियां को झेलना होगा…लाखो परिंदों के घोंसले उजाड़ दिए….