गोरा चांद पर ठोकर मार कर आ गया, मेरे देश में बिल्लियां रास्ता काटती हैं, भूस्खलन रोकने को भगवान की शरण में गए इंजीनियर
सड़क पर गिर रहे मलबे के कारणों की खोज और निदान की जानकारी तो शायद उनकी पढ़ाई में न रही हो, ऐसे में वे भूस्खलन रोकने के लिए भगवान की शरण में पहुंच गए।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि स्व. चारु चंद्र चंदोला की कविता की ये पंक्तियां आज भी सटीक बैठती हैं। इसकी अंतिम लाइन में लिखा था कि-गोरा चांद पर ठोकर मार कर आ गया, और मेरे देश में बिल्लियां रास्ता काट रही हैं। अब देखिए कहीं दावे किए जाते हैं कि शरीर पर गोबर का लेप लगा लो तो कोरोना कुछ नहीं बिगाड़ेगा। तो कोई गो मूत्र से कैंसर के इलाज का दावा करता है। फिर एनएस के अधिकारी भी क्यों पीछे रहें। सड़क पर गिर रहे मलबे के कारणों की खोज और निदान की जानकारी तो शायद उनकी पढ़ाई में न रही हो, ऐसे में वे भूस्खलन रोकने के लिए भगवान की शरण में पहुंच गए।मामला उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्वाला क्षेत्र का है। यहां पहाड़ों से लगातार हो रहे भूस्खलन के चलते एनएच करीब 11 दिन से बंद पड़ा है। इसे खोलने में दिक्कत ये आ रही है कि रुक रुक कर यहां पहाड़ी से पत्थर और मलबा गिर रहा है। मलबा गिरना रुके तो सड़क की सफाई हो। अब जब एनएच के इंजीनियरों को कुछ नहीं सूझा तो ग्रामीणों की सलाह पर अधिकारियों ने गुरुवार को पूजा अर्चना कर लगातार गिर रहे मलबे को रोकने की कामना की। ताकि सड़क को शीघ्र खोला जा सके। ग्रामीणों और कामगारों की सलाह पर गुरुवार को एनएच अभियंता प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव, साइड अभियंता विवेक श्रीवास्तव ने भूस्खलन वाली जगह विधि विधान से पूजा अर्चना करवाई।
यहां तर्क दिया गया है कि स्वाला में मां भगवती का प्राचीन मंदिर है। माना जाता है कि देवी एनएच पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकती है और यात्रियों की यात्रा मंगलमय करती है। इसी मान्यता के आधार पर लोगों की भावनाओं की कद्र करते हुए पूजा अर्चना करवाई गई। स्थानीय लोगों ने विश्वास व्यक्त किया है कि पूजा के बाद निश्चित ही मलबा गिरना बंद होगा और सड़क आवागमन के लिए सुचारु हो जाएगी। खैर लोगों का विश्वास है। उनकी आस्था से जुड़ा मामला है तो इसे भी कर लिया जाए। साथ ही इसका जब तक स्थायी तकनीकी समाधान नहीं निकाला गया, तब तक ऐसी समस्या आती रहेंगी। इस दिशा में भी प्रयास जरूरी हैं।





