चमोली में ग्लेशियर टूटने की घटना, आज मिले तीन शव, कुल 15 शव बरामद, तीन लापता
उत्तराखंड में चमोली जिले की मलारी घाटी में भारत-चीन सीमा के निकट सुमना में राहत एवं बचाव कार्य जारी है। रविवार तक सेना ने बर्फ में से दो और शव निकाल लिए थे। आज सोमवार को तीन और शव बरामद किए गए। अब मृतकों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है। प्रशासन के अनुसार श्रमिकों की संख्या का अभी सही पता नहीं चल पा रहा है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) से सूची मिलने का इंतजार किया जा रहा है। हालांकि सेना ने पुलिस-प्रशासन को जानकारी दी है कि दोनों शिविर में 402 लोग थे। इनमें से 384 को सुरक्षित निकाल लिया गया है। इसमें सात घायल भी शामिल हैं, जबकि तीन अभी लापता हैं।
शुक्रवार 23 अप्रैल को सुमना में आए हिमस्खलन में बीआरओ के दो शिविर तबाह हो गए थे। सेना उसी दिन से लगातार बचाव अभियान चला रही है। शनिवार रात अभियान रोक दिया गया था। रविवार 25 अप्रैल सुबह जवान एक बार फिर बर्फ के ढेर में श्रमिकों की तलाश में जुट गए थे। दिन भर यह सिलसिला चलता रहा। लापता व्यक्तियों की तलाश के लिए सेना प्रशिक्षित कुत्तों का भी सहारा ले रही है।
बताया जा रहा है कि बर्फ इतनी ज्यादा है कि जवानों को खोजबीन के कार्य में दिक्कत आ रही है। चमोली के पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान ने बताया कि श्रमिकों की सही संख्या बीआरओ से सूची मिलने के बाद ही पता चलेगी।
तीसरे दिन में पहुंची बीआरओ की राहत टीम
शुक्रवार रात बीआरओ कमांडर मनीष कपिल के नेतृत्व में रवाना हुई राहत टीम रविवार सुबह सुमना पहुंच पाई। मलारी से आगे मार्ग बंद होने के कारण टीम को पैदल ही आगे बढ़ना पड़ा। सुमना मलारी से 26 किलोमीटर की दूरी पर है। दूसरी ओर जोशीमठ से गई राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की तीन टीमें भी मलारी के पास ही पहुंच पाई हैं। ये टीम पैदल ही घटनास्थल की ओर बढ़ रही हैं।
हिमखंड से बंद है सड़क
जोशीमठ से 65 किलोमीटर दूर मलारी से आगे जगह-जगह हिमखंड आने से मार्ग बंद है। बीआरओ की शिवालिक परियोजना के मुख्य अभियंता पुनीत जैन ने कहा कि सड़क खोलने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुमना तक सड़क खोलने के लिए दो दिन और लग सकते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।