Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

July 31, 2025

गढ़वाली कवि एवं साहित्यकार दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन’ की गजल- समै कि पूछ

गढ़वाली कवि एवं साहित्यकार दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन’ की गजल- समै कि पूछ।

समै कि पूछ
समै फरि लग्या-फांकुण, सरि-सरि दौड़णूं च.
कोच- जो यो पूछ पकड़ि, सरर् मरोरड़णूं च..

समै त चल़णु रैंद, अपणि इकनसि रफ्तार से,
येका सैंणा – सपाट बाटौं, को- गरदोड़णूं च..

समै – पाठ पढांद, हैंसांद – रुलांद हर घड़ी,
समै थैं जांणा-पछ्याणां, समै सबुथैं तड़णूं च..

समै कू धागु च- लम्बू , न समझा ये तंग- तंगू,
समै त सदनि, अगनै- अगनै सीड़ि- चढणूं च..

समै सिखांद- पढ़ांद, समझांद- नित नयूं पाठ,
इनै मन्खी सोच घटिगे, उनै समै-रोज बढणूं च..

समै कू रथ- न र्वाका, बग्त- कुबग्त न ट्वाका,
समै त- बढद ही जालू , तुमरु -मान घटणूं च..

‘दीन’ ! समै का दगड़, चलणू – सीख दगड़्या,
पैथर रैकी-नी छ्वपेंदु, समै भित-समै कटणूं च..

कवि का परिचय
नाम-दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन’
गाँव-माला भैंसोड़ा, पट्टी सावली, जोगीमढ़ी, पौड़ी गढ़वाल।
वर्तमान निवास-शशिगार्डन, मयूर बिहार, दिल्ली।
दिल्ली सरकार की नौकरी से वर्ष 2016 में हुए सेवानिवृत।
साहित्य-सन् 1973 से कविता लेखन। कई कविता संग्रह प्रकाशित।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “गढ़वाली कवि एवं साहित्यकार दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन’ की गजल- समै कि पूछ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

Kterou část vepřového masa je nejlepší zvolit Po několika letech byla nalezena ideální místa v bytě Koupelnový repelent: Skudci jsou nadobro Proč má žena na spodním prádle kapsu? Skutečný důvod, Pět rostlin, které koně Jak vyčistit odtok během několika