देहरादून के शायर एवं पत्रकार दर्द गढ़वाली की गजल-ताले की चाबी रक्खी है
ताले की चाबी रक्खी है।
कितनी खुशफहमी रक्खी है।।
तुमने यारब मन में अपने।
भर कितनी तल्खी रक्खी है।।
अपना दिल है साधू जैसा।
ले तेरी दिल्ली रक्खी है।।
भीतर मौसम पतझड़ जैसा।
बाहर शादाबी रक्खी है।।
चीजें हमने घर में यारब।
जैसी थी वैसी रक्खी है।।
सुलझाने कब आओगे।
उलझी इक गुत्थी रक्खी है।।
किरदार सभी झूठे उसके।
फोटो गांधी की रक्खी है।।
कुछ भी कह लो कुछ भी कर लो।
हमने तो जुबां सी रक्खी है।।
आंखों में आंसू ही आंसू।
हाथों में चिट्ठी रक्खी है।।
दीप जला रक्खे हैं घर में।
आंगन में आंधी रक्खी है।।
दर्द गढ़वाली का परिचय
नामः लक्ष्मी प्रसाद बडोनी
उपनामः दर्द गढ़वाली
जन्म तिथिः 23 अक्टूबर 1965
जन्म स्थानः उत्तरकाशी
मूल निवासीः भटवाड़ा, टिहरी गढ़वाल
वर्तमान पताः बडोनी भवन
देवपुरम कालोनी, लोअर तुनवाला
देहरादून, उत्तराखंड।
मोबाइलः 09455485094
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जो पत्रकारिता के साथ ही साहित्य के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।