गढ़वाली गीतः बोल-बाबा कूं मुलक-लेखिका हेमलता बहुगुणा

बोल-बाबा कूं मुलक
हे ऊंची डाण्डियों तुम निशी ह्वावा
बाबाजी कूं मुलक देखण द्यावा।
घनी कुलांई तुम निशी ह्वावा
बाबाजी कूं मुंलक देखण द्यावा।
हे ऊंची…………………….
काखडी गोदड़ी लगती ह्वैली
बेटी कूं बाटु मां देखण ह्वैली
सबी बेटी मैत्यूणा औणा ह्वैला
मेरा बारा मा सभी पूछण ह्वाला।
हे ऊंची…………………
गुठ्यारा म गोड़ी भैंसी राभणी ह्वेली
मां घास बिटी दौड़ी औणी ह्वेली
याद मां तैं मेरी औणी ह्वैली
औण कू रैवार मैं तै देती ह्वैली।
हे ऊंची…………………….
छोटा छोटा भूला भूली रोज औंधा होला
काखड़ी मुगरी चोरणा ह्वैला
सुण दादाकूं घुघराट सुणीभागण ह्वैला
दीदी औणी तुम्हारी बतौणा ह्वैला।
हे ऊंची ऊंची डाड्यो…………
घणी कुलाई………………..
कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।