गढ़वाली पजल संग्रह गुणत्यळि और हुणत्यळि का लोकार्पण, गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा संविधान की आठवीं सूची में हो शामिल

गढ़वाली भाषा की समृद्ध शब्दावली का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें हिंदी भाषा की तरह व्यापक शाब्दिक भंडार है। अतः सरकार को गढ़वाली भाषा को आठवीं सूची में शामिल करके उसकी मान्यता और उसका सम्मान बढ़ाना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर भी शीघ्र ही भारत के मानव संसाधन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलेंगे और इस संबंध में उन्हें ज्ञापन दिया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उद्यमी व उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच, दिल्ली के संयोजक डॉ विनोद बछेती ने कहा कि गढ़वाली और कुमाउनी भाषा की कक्षाओं द्वारा हम दिल्ली एनसीआर में भावी पीढ़ी को अपनी भाषाओं से जोड़ रहे हैं। उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच, दिल्ली के संयोजक दिनेश ध्यानी ने कहा कि गढ़वाली कुमाऊंनी भाषाओ को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए मंच लगातार प्रयास कर रहा है। इसके लिए सब भाषा प्रेमियों का सहयोग अपेक्षित है। भविष्य में गढ़वाली-कुमाउनी भाषाओं के मानकीकरण पर और अधिक काम करने की अपील भी की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार ललित केशवान ने कहा कि केंद्र सरकार को गढ़वाली व कुमाऊंनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसची में अबिलम्ब शामिल करना चाहिए। आमंत्रित अतिथियों में बरिष्ठ समाजसेवी महेश चन्द्रा, वरिष्ठ समाजसेवी व पूर्व प्रोविडेंड फण्ड कमिश्नर बी एन शर्मा, बरिष्ठ साहित्यकार रमेश घिल्डियाल, प्रोफ़ेसर वी एस नेगी, प्रोफ़ेसर हरेन्द्र पटवाल, व बरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी, वरिष्ठ साहित्यकार सुशील बुड़ाकोटी, वरिष्ठ साहित्यकार पयाश पोखड़ा, वरिष्ठ साहित्यकार दीनदयाल बन्दूणी, वरिष्ठ पत्रकार, उपन्यास लेखिका रामेश्वरी नादान, पूनम बिष्ट आदि ने अपने विचार रखे। सबने जगमोहन सिंह रावत को पज़ल विधा में लेखन की बधाई दी। इस अवसर पर कवि सम्मलेन का भी आयोजन किया गया। जगमोहन सिंह रावत जगमोरा ने सबका आभार व्यक्त।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।