युवा कवि नवीन जोशी की गढ़वाली कविता- पुरेल्डु
पुरेल्डु
मैं पुरेल्डु छों।
जू सुऴा पर टिक्यू छ।
तुम कुछ भी करल्या।
में एक जूट छौं।
भांतिं भांतिं का पूळा छन।
कूछ छोटा त कुछ मोटा छन।
काल्ला पशूओ कि में भूख मिटोदु छों।
फिर भी एक जूट छौं।
पोथलौं तैं सारू दैदू छों।
उंते घर बणोण पर मदद कर्दु छौं।
यन्नी कयी परोपकार मैं करदुं छौं।
फिर भी एक जूट छौं।
कभी मेरी मां मेणी घाम मा सूखोणी छ।
कभी असूज का औडाऴा मा फुर्र उड जाणु छौं।
कभी मेरी मां का विसरन पर बरखा मा भिजणू छों।
फिर भी एक जूट छौं।
कवि का परिचय
नाम-नवीन जोशी
कवि टिहरी गढ़वाल के पिलखी के पोस्टऑफिस में उपडाकपाल के पद पर कार्यरत हैं। वह टिहरी गढ़वाल के थौलधार विकासखंड के कोट गांव के निवासी हैं। कविता लिखना उनका शौक है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सुन्दर रचना?