पाठक की कलम से-अपनी प्रतिभा के बल पर विक्रम नेगी बढ़ा रहे हैं संस्कृति का मान, देखें वीडियोः माधव सिंह नेगी

विक्रम अधिक पढ़े लिखे भी नहीं हैं, लेकिन इन्होंने अपनी लगन, मेहनत व प्रतिभा के बल पर एक नया मुकाम हासिल किया है। या यूँ कहें कि एक इतिहास रचा है। अपनी प्रतिभा के बल पर ये अपनी संस्कृति के संरक्षण व संवर्द्धन में लगे हुए हैं। सम्पूर्ण तुंगनाथ घाटी सहित रुद्रप्रयाग जनपद के दर्जनों गाँव इनकी जागर गायन शैली कला प्रतिभा के लोग मुरीद बने हुए हैं। विक्रम नाग सिद्धवा देवता, नृसिंह, जीतू बग्ड्वाळ, ऐड़ी-आछरी, बणद्यो देवताओं को पूजने व नचाने के एक कुशल कलाकार हैं।
यह विक्रम का पैतृक पेशा नहीं है। न ही गाँव में कोई इस तरह की कला सिखाने वाले विशेषज्ञ हैं। फिर भी इन्होंने अपनी रुचि, लगन, मेहनत प्रतिभा के बल पर इस क्षेत्र में सभी के दिलों को जीता है तथा अपनी आजीविका का भी अच्छा साधन बनाया है। मैं प्रत्यक्षदर्शियों में से एक हूँ कि विक्रम बचपन से ही गाँव में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक व धार्मिक समारोहों में अक्सर घड्याळा की प्रस्तुति देकर दर्शकों को मोहित व आकर्षित कर लेते थे।
श्रोताओं और दर्शकों का कहना है कि विक्रम की आवाज में एक अलग खनक और सम्मोहन है जो उन्हें अन्य जागरियों से अलग ही पहचान देती है। उनके जागर श्रोताओं के दिल और दिमाग पर जादू सा असर करते हैं। उनकी इसी विशेषता व इस क्षेत्र में रुचि को देखते हुए स्व. विशाम्बर नौटियाल ग्राम करोखी वालों ने इन्हें अपना शिष्य बनाया। उन्होंने विक्रम को गुरु मंत्र देकर दीक्षा दी व विक्रम को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। विक्रम कहते हैं कि गुरुजी के आशीर्वाद से ही वे आज समाज में अपनी विशिष्ट पहचान बना पाये हैं।
लेखक का परिचय
नाम- माधव सिंह नेगी
प्रधानाध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय जैली
ब्लॉक जखोली, रुद्रप्रयाग, निवासी ग्राम पैलिंग रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।