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December 20, 2024

बुकर से चूकने वाली फ्रांसीसी लेखिका एनी एरनॉक्स को नोबेल पुरस्कार, जानिए उनकी कहानी

साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है। फ्रांसीसी लेखक एनी एरनॉक्स को नोबेल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। नोबेल पुरस्कार की घोषणा करनेवाली समिति ने कहा है एरनॉक्स को उनके साहस और आलोचनात्मक शैली के साथ व्यवस्थाओं और सामूहिक समस्याओं को उजागर करनेवाले लेखन के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है। एनी एरनॉक्स को इससे पहले बुकर प्राइज के लिए भी नामित किया जा चुका है। 82 वर्षीय एनॉक्स 17वीं महिला हैं, जिन्हें साहित्य का नोबल मिला है। वह मजदूर वर्ग से आने वाले परिवार से निकलीं उपन्यासकार हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

फ्रांसीसी लेखक एनी एरनॉक्‍स को साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार निजी यादों की परतों, जड़ों को स्पष्टता और साहस के साथ लिखने के लिए दिया गया। अपने लेखों में एनी एरनॉक्‍स ने लगातार कई बिंदुओं से अपने जीवन को जांचा-परखा है। इसमें लैंगिक असमानता, भाषा और वर्गवाद को लेकर भी निडरता से बात रखी है। लेखन में उनका रास्ता लंबा और कठिनाई भरा रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एनी का जन्म 1940 में हुआ था और वो नॉरमेन्डी के एक छोटे कस्बे येवेटोट में बड़ी हुईं। उनके माता-पिता एक ग्रोसरी स्टोर और एक कैफे चलाते थे। बचनपन में उनके पास अधिक संसाधन नहीं थे। उनके शुरूआती प्रोजेक्ट्स में अपने ग्रामीण परिवेश से उनका संर्घष लगातार दिखता है। उन्होंने कल्पना से परे लेखन की सीमाओं को चुनौती दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एनी एरनॉक्‍स की पहली किताब लेस अरमोरिस वीदेस (Les armoires vides) थी। साल 1974 में आई इस किताब का 1990 में ‘क्लीन्ड आउट” के नाम से अनुवाद हुआ। इन कामों में उन्होंने अपनी नॉरमन पृष्ठभूमि को खंगाला लेकिन 1983 उनकी चौथी किताब ला प्लेस का का 1992 में ए मैन्स प्लेस के तौर पर अनुवाद हुआ और यहीं से साहित्य जगत में उन्होंने बड़ी सफलता पाई। करीब 100 पृष्ठों में उन्होंने अपने पिता की छवि उकेरी है जिससे उन्हें लिखने पर मजबूर किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पिता चलाते थे किराने की दुकान
एनी एरनॉक्स का जन्म फ्रांस के एक छोटे से शहर यवेटोट में 1 सितंबर 1940 को हुआ था। वह अपने मजदूर वर्ग के माता-पिता के साथ पली-बढ़ीं। उनके माता पिता एक किराने की दुकान और कैफे चलाते थे। उन्होंने रूएन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। 1977 से 2000 तक वह सेंटर नेशनल डी एन्साइनमेंट पार कॉरेस्पोंडेंस में प्रोफेसर भी रह चुकी हैं। वह अभी भी फ्रांस में रहती हैं। वह एक प्रतिभशाली और हिम्मती लेखिका हैं। वह जिस बैकग्राउंड से निकली हैं। उसकी झलक उनके लेखन में भी मिलती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

1974 में साहित्यिक जीवन की शुरुआत
एनी एरनॉक्स के साहित्यिक जीवन की शुरुआत 1974 में हुई, जब वह 34 बरस की थीं। उनका पहला आत्मकथात्मक उपन्यास लेस आर्मोइरेस वाइड्स था। उनकी ज्यादातर रचनाएं ऑटोबायोग्राफी शैली में रही हैं। ए वुमन स्टोरी, सिंपल पैशन और ए मैन्स प्लेस इसके उदाहरण हैं। उनकी कहानियां आम जिंदगी के काफी करीब और संघर्षों से सराबोर होती हैं। आलोचक उनकी रचनाओं को संस्मरण की श्रेणी का लेखन बताते हैं, जबकि एरनॉक्स मानती हैं कि उनका लिखा फिक्शन है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सबसे पहले फिजियोलॉजी/मेडिसिन कैटि‍गरी में मिला पुरस्कार
आपको बता दें कि नोबेल प्राइज वीक 2022 (Nobel Prize) की शुरुआत हो गई है। स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित हो रहे वीक में सबसे पहले फिजियोलॉजी/मेडिसिन कैटि‍गरी में पुरस्‍कार का ऐलान किया गया था। इस बार का मेडिसिन का नोबेल स्वीडन के स्‍वांते पाबो (Svante Pääbo) को दिया गया है। विलुप्त होमिनिन और मानव विकास के जीनोम से संबंधित खोजों के लिए स्‍वांते पाबो को मेडिसिन के लिए नोबेल दिया गया है। द नोबेल कमि‍टी के सेक्रेटरी थॉमस पर्लमैन ने उनके नाम का ऐलान किया। 10 अक्‍टूबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में आज यानी फ‍िजिक्‍स, कैमिस्ट्री की कैटिगरी में विजेताओं की घोषणा की जा चुकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

पुरस्कार में ये मिलेगा
साहित्य समेत हर क्षेत्र के नोबेल विजेताओं को एक स्वर्ण पदक और एक प्रमाणपत्र के साथ एक करोड़ क्रोनोर (लगभग नौ लाख डॉलर) की पुरस्कार राशि दी जाती है। चूंकि 1896 में 10 दिसंबर की तारीख को ही एल्फ्रेड नोबेल का निधन हुआ था। इसलिए विजेताओं का सम्मान हर साल 10 दिसंबर को किया जाता है। 1901 से 2021 तक अलग-अलग क्षेत्रों में कुल 609 बार नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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