चार आंदोलनकारी चढ़े छत पर, एक महिला चढ़ गई पेड़ पर, प्रशासन के हाथ पैर फूले, जानिए क्या है मांग

गौरतलब है कि गुरुवार को सरकार ने आंदोलनकारियों के आश्रितों के लिए पेंशन का शासनादेश जारी किया। इसके तहत राज्य आंदोलन के दौरान सात दिन जेल में रहे या घायल हुए जिन आंदोलनकारियों को 3100 रुपये पेंशन दी जा रही है, उनकी मृत्यु के पश्चात आश्रितों में पति या पत्नी को भी पेंशन दी जाएगी। वहीं, राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि उनकी मुख्य मांगों को दरकिनार किया जा रहा है।
शुक्रवार की सुबह पुलिस को सूचना मिलने के बाद काफी संख्या में पुलिस बल परिसर में तैनात है। सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान ने भी परिसर में पहुंचकर शासन से वार्ता कराने का आश्वासन दिए, लेकिन राज्य आंदोलनकारी मांग पूरी करने को लेकर अड़े हैं। सरकारी सेवा भर्ती में 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण, कार्ड धारकों को पेंशन दी जाए और चिहि्नत आंदोलनकारियों को एक समान पेंशन दी जाए।
आंदोलनकारी सावित्री नेगी ने कहा कि सरकार ने अब तक उनकी मांगों को अनसुना किया, जिसके चलते इस तरह का रास्ता अपनाया गया है। चिह्नित राज्य आंदोलनकरी मंच की प्रदेश महासचिव बीरा भंडारी ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों की मांग पर सरकार ध्यान नही दे रही है। लंबे समय से एक समान पेंशन की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार किसी को 15 हजार, पांच हजार और 3100 रुपये दी जा रही हैं। आंदोलनकारी भूमा रावत ने कहा कि बीते गुरुवार को सरकार ने आश्रितों के लिए पेंशन का शासनादेश जारी किया है, लेकिन जो मांग की जा रही है उस पर सिर्फ आश्वासन दिया गया है। उन्होंने कहा कि कल दो अक्टूबर को मुजफ्फरनगर कांड की बरसी पर सभी परिसर में एकजुट होंगे। छत और पेड़ पर चढ़े पांचों राज्य आंदोलनकारी उत्तराखंड राज्य निर्माण चिह्नित आंदोलनकारी मंच से जुड़े हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।