कोरोनाकाल के चलते सूक्ष्म रूप से मनाया साईं बाबा मंदिर का स्थापना दिवस
तिलक रोड स्थित साईं बाबा मंदिर का सोलवा स्थापना दिवस बड़ी शालीनता के साथ मनाया गया। कोविट जैसी महामारी के चलते श्रद्धालुओं ने सूक्ष्म रूप में कार्यक्रम को आयोजित किया, लेकिन दो गज की दूरी और मास्क जरूरी का पूरी तरह पालन यहां भी नहीं हुआ।
आज प्रातः 5:30 बजे मंदिर से बाबा की पालकी कुछ भक्तों के साथ निकली और और प्रमुख बाजारों से होते हुए यात्रा का समापन बाबा के मंदिर पर हुआ। इसके पश्चात श्रद्धालुओं ने बाबा का मंगल स्नान करा और भारी जयकारों के साथ बाबा की आरती की। गायक विनोद डिमरी ने बाबा के भजन प्रातः 8:00 बजे से 9:30 बजे तक मंदिर में गाए।
श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन करके लाभ उठाया और आशीर्वाद प्राप्त किया। इसी दौरान गोबर से बने एक प्रोडेकट की भी लॉन्चिंग की गई, जिसमें विभिन्न जड़ी बूटियां मिलाकर एक धूप बत्ती तैयार की गई। इससे कि वातावरण में कीटाणु मर सके और वातावरण शुद्ध हो सके।
तत्पश्चात बाबा के चरणों में एक भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें पैकिंग के द्वारा भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया कुछ संस्थाओं को यह भंडारे का प्रसाद भिजवा गया। और वितरित किया गया। बाबा से गगनभेदी जयकारों के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर साईं सेवक अशोक वर्मा, शिरडी साईं चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष शरद नागलिया ,मानव अधिकार मंच समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंजय वर्मा, अक्षत नागलिया, रीना गिरोटी, कुलबीर त्यागी, योगेंद्र वर्मा, धर्मेंद्र, मयंक गर्ग, सुमन नागलिया, नीतू बंसल, अशोक ठाकुर, उषा रानी, मंदिर के मुख्य पुजारी ओमप्रकाश भट्ट आदि उपस्थित थे।
कोरोना के नियमों के अधिक पालन की जरूरत
कोरोनाकाल में जब तक कोरोना की दवा नहीं आ जाती तब तक हमें तीन नियमों मुंह व नाक को मास्क से ढकना, दो गज की दूरी, हाथों को बार बार धोने के नियम पर चलना होगा। अक्सर देखने में आ रहा है कि सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक संस्थाओं के साथ ही राजनीतिक कार्यक्रमों में इन नियमों का पालन हीं हो रहा है। लोग तब तक मास्क लगाते हैं, जब किसी दूसरे के निकट आते हैं। फिर बात करने के दौरान मास्क हल्का सा नाक से नीचे सरकता है।
इसके बाद मास्क मुंह से नीचे पहुंच जाता है। फोटो खिंचवाते हुए तो मास्क मुंह व नाक से हट जाता है, साथ ही शारीरिक दूरी भी हवा हो जाती है। तीनों की स्थिति में यह प्रेक्टिस घातक है। क्योंकि यदि बगल वाला संक्रमित हुआ तो सारे संक्रमित हो जाएंगे। किसी के माथे पर नहीं लिखा है कि वह कोरोना संक्रमित नहीं है। ऐसे में जागरूक बनों, सतर्क रहो। यही लोकसाक्ष्य का संदेश है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।