एक घंटे के मौन उपवास पर बैठे पूर्व सीएम हरीश रावत, बोले- साल 2021 को रोजगार के मुद्दे पर समर्पित करूंगा
इस साल की विदाई के अंतिम दिन उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक बार फिर सत्याग्रह के रास्ते पर चलते हुए मौन उपवास पर बैठ रहे हैं। इस मौन उपवास के कई मुद्दे हैं।
इस साल की विदाई के अंतिम दिन उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक बार फिर सत्याग्रह के रास्ते पर चलते हुए मौन उपवास पर बैठे। इस मौन उपवास के कई मुद्दे हैं। किसानों का आंदोलन है, तो आंदोलन के नाम पर प्रदर्शनकारियों पर जुर्म के विरुद्ध आक्रोश। उत्तराखंड की कानून व्यवस्था सहित कई मुद्दों को उन्होंने इस मौन उपवास के जरिये उठाया। इसके तहत उन्होंने मसूरी रोड स्थित अपने आवास पर एक घंटे का मौन उपवास किया।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उत्तराखंड के नेताओं में सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं। जहां कई नेताओं की फेसबुक वाल पर दूसरों की पोस्ट नजर आती हैं, वहीं हर दिन हरीश रावत कुछ न कुछ जरूर डालते हैं। इसी तरह वह ट्विटर पर भी अपने उदगार व्यक्त करते रहते हैं। साथ ही सरकार को नसीहत भी देते रहते हैं।
मौन उपवास से पहले हरीश रावत ने पत्रकारों से सवाल पर कहा कि बेरोजगार नौजवानों में निराशा भर गई। राजनीतिक होने के नाते मेरा धर्म है कि उनका विश्वास टूटने न दूं। मैं 2021 को इसके लिए समर्पित करूंगा। पहला अभियान कूड़ी बाड़ी होगा। जैसे पारंपरिक वस्त्रों का किया। उसका अभियान चलाऊंगा। सरकार पर दबाव हो सके कि रोजगार को प्राथमिकता में ले।
धन सिंह रावत के बयान कांग्रेस तीसरे नंबर पर के संबंध में हरीश रावत ने बोला कि भाजपा को अपना नंबर तलाशना चाहिए। पूरे देश में जुर्म के खिलाफ जिस प्रकार से किसान मजदूर लामबंद हो रहे हैं। भाजपा के लोग यदि 2021 में संभले नहीं तो 22 में फिसलन होगी। 24 तक भाजपा को अपना स्थान ढूंढना होगा। उत्तराखंड में 2022 में नंबर एक पार्टी कांग्रेस होगी। जिस तरह का राजनीतिक ढांचा है। उसमें यूकेडी दो नंबर पर रह सकता था। उनका सारा एजेंडा हरीश रावत ने ले लिया। कांग्रेस पहले नंबर पर रहेगी। भाजपा चेलेंजर रहेगी।
नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता इंदिरा हृदयेश के भाजपा में टूट को लेकर दिए गए बयान पर उन्होंने कहा कि टूट और दल बदल को लेकर मैं सैद्धांतिक विरोध करता था। अब मैने कहा कि कभी कभी सिद्धांत से ज्यादा समसामयिकता महत्वपूर्ण हो जाती है। भाजपा को कमजोर करना इस समय समसामयिक आवश्यकता है। जो भी व्यक्ति भाजपा में विभाजन कराएगा। टूट कराएगा। टूट का मतलब दलबदल नहीं है। उस व्यक्ति को मैं माला भी पहनाऊंगा अपने नेता भी मानूंगा।
चौबटिया से उद्यान निदेशालय को शिफ्ट करने के सवाल पर कहा कि उत्तराखंड को खत्म कर दिया। पहले पौड़ी से निदेशालय कृषि का हटाया। गोपेश्वर से जड़ी बूटी निदेशालय हटाया। अब उद्यान निदेशालय जो ऐतिहासिक है, उसे चौबटिया से हटा रहे हैं। ये कृषि के लिए भी घातक, उद्यान के लिए भी घातक होगा।
आज के मौन उपवास की जानकारी भी उन्होंने फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से दी है। उन्होंने लिखा कि-सत्ता के अहंकार और जुल्म के खिलाफ विपक्ष हो या आम नागरिक हो। उसके पास केवल एक हथियार है, सत्याग्रह। गाँधी जी हमको ये रास्ता दिखाकर के गये हैं। दिल्ली के दरवाजे पर हजारों किसान, अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर, अपनी खेती व अपने जीवन को बचाने के लिये खड़े हैं। केन्द्र सरकार, उनकी मांग मानने से इनकार कर रही है। 45 किसान अपनी जिंदगी गवा चुके हैं, न जाने और कितने किसानों का बलिदान सत्ता चाहती है!
हरीश रावत ने आगे लिखा- उत्तराखंड से भी हमारे किसान जब आंदोलन में भाग लेने के लिये निकले, तो उन पर नाना प्रकार के अपराधों के मुकदमे दर्ज कर दिये गये हैं। बाजपुर, रूद्रपुर, गदरपुर, किच्छा, सितारगंज, खटीमा, काशीपुर, दिनेशपुर, जसपुर, हल्द्वानी, लालकुआं, कोई हिस्सा खाली नहीं है, जहां से किसान नहीं गये हों दिल्ली की ओर और उन पर मुकदमे न लगा दिये गये हों।
हरीश रावत लिखते हैं कि- हरिद्वार में एक मासूम बच्ची के साथ बलात्कार होता है और उसकी हत्या कर दी जाती है। आक्रोशित लोग सड़क पर निकल गये। हत्यारों को फांसी दो और सरकार उन पर भी अपराधिक धाराओं में मुकदमे लगवा रही है। ये साल बीत रहा है। इस वर्ष का कल अंतिम दिन होगा। बहुत सारी कड़वी यादें, ये वर्ष छोड़कर के गया है और कुछ विरासत में देकर के गया है।
हरीश रावत के मुताबिक- हमने व समाज ने कोरोना की महामारी से कई अपनों को खोया है और कोरोना आज भी एक साक्षात खतरे के रूप में विद्यमान है। अर्थव्यवस्था रसातल पर जाने से बेरोजगारी बढ़ी है। न जाने कितने लोग हैं जो आधे पेट खाना खाकर सो रहे हैं। एक अनिश्चय भविष्य उनके सामने है। मैंने इस वर्ष को विदा करने के लिये, यह सोचा कि मैं भी सत्याग्रह का रास्ता अपनाऊं। इसलिये 31 दिसंबर 2020 को दोपहर 12 से 1 बजे तक 1 घंटे का मौन उपवास इस वर्ष की कटु स्मृतियों से संतप्त मन को शान्ति देने के लिये करूँगा। इस कामना के साथ अपने उपवास को खत्म करूंगा कि वर्ष 2021 देश, समाज और उत्तराखंड के लिये, किसान-मजदूर और नौजवान के लिये नई आशाओं व आकांक्षाओं का वर्ष सिद्ध हो।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।