कुर्सी जाने के बाद भी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र का नहीं छूट रहा विवादों से नाता, अब सल्ट उपचुनाव को लेकर हो रहे हैं ट्रोल
सीएम की कुर्सी जाने के बाद भी उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का विवादों से नाता नहीं छूट रहा है। पहले महाभारत का उदाहरण देने पर वह सोशल मीडिया में जमकर ट्रोल हुए। अब आज होली के दिन 29 मार्च को सल्ट विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी महेश जीना को लेकर सोशल मीडिया में डाली गई पोस्ट को लेकर वह ट्रोल हो रहे हैं। कांग्रेस तो इस मामले में हमलावर होती नजर आ रही है।
गौरतलब है कि नवंबर माह में उत्तराखंड में अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना का दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया था। विधायक कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे। इससे कुछ दिन पहले उनकी पत्नी का भी दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। सुरेंद्र सिंह जीना काफी लोकप्रिय थे। सुरेंद्र लगातार तीसरी बार विधायक बने थे। उनके निधन से सल्ट विधानसभा सीट रिक्त हो गई थी।
इस सीट पर भारत निर्चावन आयोग के तय कार्यक्रम के मुताबिक उत्तराखंड में 17 अप्रैल को मतदान होगा। सल्ट चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 30 मार्च नियत की है। 3 अप्रैल का दिन नाम वापसी के लिए तय किया गया है। 17 अप्रैल को मतदान के बाद मतगणना दो मई को होगी।
आज ही भाजपा और कांग्रेस ने इस सीट के प्रत्याशियों की घोषणा की। कांग्रेस ने पिछली बार की प्रत्याशी रही गंगा पंचोली को ही टिकट देने में तव्वजो दी, वहीं भाजपा ने पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के भाई महेश जीना को टिकट दिया है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फेसबुक में पोस्ट डालकर महेश जीना को भाजपा प्रत्याशी बनाने की शुभकामनाएं दी। साथ ही उन्होंने लिखा कि मुझे विश्वास है कि आप प्रचंड जीत दर्ज करोगे, बल्कि पिथौरागढ़ के लिए स्व. सुरेंद्र सिंह जीना के अधूरे सपनों को पूरा करेंगे। पूर्व सीएम अल्मोड़ा जिला लिखने की बजाय पिथौरागढ़ जिला लिख गए। हालांकि उन्होंने इस गलती को बाद में सुधार लिया। इसके बावजूद अब कांग्रेस हमला करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने सोशल मीडिया में पोस्ट डाली कि- हम किसी से कम नहीं। जब बौने लोगों के साये मीलों लम्बे हो जाएं तो समझो सूरज डूब रहा है। धर्म की अफीम चाटे लोगों ने जो प्रचंड बहुमत दिया भाजापा को। उसी का नतीजा है कि भाजापा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड की जनता पर ये मनीषी थोपे हैं। पिछले पांच सालों में। जहां एक ओर वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह जी रावत ने भारत को अमरीका के 200 वर्षों तक गुलाम बना दिया। अपने ओजस्वी भाषण में वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जी जो चार साल तक सीएम रहे इस प्रदेश के, लेकिन यहां का भूगोल व प्रशासनिक व राजनैतिक स्वरूप नहीं जान पाए। अपनी फेस बुक पोस्ट में सल्ट को पिथौरागढ़ में बता रहे हैं । भगवान भला करे।
इस पर कुलदीप जखमोला ने लिखा कि- बुरा ना मानो होली है मजाक मत समझ लीजिएगा। 1977 के चुनाव के बाद दो जनसंघी सांसद स्कूटर पर जाते जाते कहीं गिर पड़े। दुर्भाग्य से चलाने वाली की मृत्यु हो गई है। जो पीछे बैठे थे उनके सिर में भयंकर चोट आई। उन्होंने दिल्ली से अपने घर फोन कराया कि सांसद महोदय के सिर में बहुत चोट आई है। उनके घर में पड़ोसी मित्र भी बैठे थे। उन्होंने कहा पूछो घुटने में चोट तो नहीं आई है? पता लगा नहीं घुटने में चोट नहीं आई है । सिर में आई है। तब उनके मित्र बोले चिंता की कोई बात नहीं है । वे सुरक्षित हैं। घुटनों में चोट नहीं आनी चाहिए थी। यह किस्सा तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी के लिए।
अनिल नेगी ने लिखा कि-हर सब्जेक्ट में त्राहिमाम मचा हुआ है। अब भूगोल का नम्बर लगा दिया, सल्ट को अल्मोड़ा से पिथौरागढ़ में मिला दिया। अब विधायक जी सल्ट के बनेंगे, लेकिन विकास ओर सपने पूरे पिथौरागढ़ के होंगे, पता नहीं कौन सा दम लगाते है।
वहीं अकरम अंसारी लिखते हैं कि-इतिहास भगोल गणित मुझे सब खतरे मे नजर आता है नेता जी।
अशोक मल्होत्रा ने लिखा-अभी से घबराहट शुरू हो गई इन्हें। यह डूबता हुआ जहाज है।
आर शिव प्रसाद सती अपनी फेसबुक वाल में लिखते हैं कि- त्रिवेंद्र सिंह रावत जी सल्ट अल्मोड़ा में है। आपके फेसबुक चलाने वाले सलाहकार नहीं मान रहे हैं। वह पिथौरागढ़ में बता रहे हैं। इन्होंने ही आपकी कुर्सी की लुटिया डुबोने का काम किया। अभी भी नहीं चेत रहे हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।