भाजपा से निलंबित पूर्व मंत्री जोशी ने फोड़ा दूसरा लैटर बम, राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे को चुना जवाब का दिन
एक तरफ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का उत्तराखंड में दौरा, दूसरी तरफ सरकार पर अंगुली उठाने वाले भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी का जवाब। जवाब भी ठीक उसी दिन, जिस दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तराखंड पहुंचे। बड़े से लेकर छोटे कार्यकर्ता उनके स्वागत में लगे हैं। वहीं, लाखीराम जोशी ने अपने निलंबन को चुनौती देते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को अपना जवाब दिया। हालांकि वह अपना जवाब सीधे प्रदेश अध्यक्ष को नहीं सौंप सके। वह भाजपा कार्यालय पहुंचे और और प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार को बंद लिफाफे में अपना जवाब सौंपा। प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने बताया कि जोशी के जवाब से संबंधित लिफाफा प्रदेश अध्यक्ष को सौंपा जाएगा। इसके बाद ही इस मामले में कोई फैसला लिया जाएगा।
पूर्व मंत्री जोशी ने नोटिस का जवाब देने के लिए जो दिन चुना, वह भी चर्चा के केंद्र में रहा। असल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को चार दिन के प्रवास पर उत्तराखंड पहुंचे और इसी दिन जोशी ने प्रदेश भाजपा को जवाब भी सौंपा। ऐसे में सियासी गलियारों में इसे लेकर चर्चा स्वाभाविक थी।
इस दौरान जोशी ने पत्रकारों को बताया कि हमने किसी पर आरोप नहीं लगाए। हाईकोर्ट ने जो संज्ञान लिया है, हमने केंद्र के बड़े नेताओं से संज्ञान लेना को कहा था। किसी पर आरोप प्रत्यारोप नहीं है। हमने पार्टी की छवि को लेकर पत्र लिखा था। उसी बात को लेकर अध्यक्षजी से अनुरोध किया ये अनुशासनहीनता का मामला नहीं है।
उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि हाईकोर्ट ने सीबीआइ जांच के लिए कहा और कोई जांच रुकवाने का प्रयास क्यों कर रहा है। जिसकी जांच के लिए कहा गया था स्पष्टीकरण तो उनका आना चाहिए। हाईकोर्ट का आदेश सामान्य नहीं है। जबसे राज्य बना तबसे ये पहले मामला है। जब हाईकोर्ट ने किसी विषय को संज्ञान किया है। ये कितना गंभीर विषय है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हमने पार्टी के लिए जो खून बहाया है, हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। इच्छा है कि केंद्रीय नेतृत्व संज्ञान ले।
ये था मामला
पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसलों पर अंगुली उठाते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र भेजा था। इसमें जोशी ने कहा था कि प्रदेश सरकार के तीन साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री के विवादास्पद निर्णयों से पार्टी की छवि को धक्का लगा है। पत्र में नैनीताल हाईकोर्ट के उस आदेश का भी जिक्र किया गया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। नैनीताल हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री की सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे।
प्रदेश भाजपा ने प्रकरण का संज्ञान लेते हुए इसे अनुशासनहीनता माना और बीती 13 नवंबर को पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी को पार्टी से निलंबित करने के साथ ही उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा। उन्हें नोटिस मिलने पर सात दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया। अब जाकर उन्होंने प्रदेश भाजपा को जवाब दिया है। बताया गया कि पार्टी की ओर से उन्हें टिहरी के पते पर नोटिस भेजा गया था, जो 27 नवंबर को मिला।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।