उत्तराखंड की बेटियों को न्याय दिलाने को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने कानून मंत्री को सौंपा ज्ञापन

दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री के साथ हरीश रावत ने करीब आधा घंटा बात की। साथ ही छावला केस के गुनहगारों के बरी होने पर आक्रोश जताया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मामले को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि आज उत्तराखंड के एक करोड़ से ज्यादा लोगों के परिवारों में इस बात को लेकर रोष है। हत्या और बलात्कार की घटना के लिए कौन जिम्मेदार है। सेशन कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाई, तो सुप्रीम कोर्ट में अभियोग पक्ष ने क्यों मामला ठीक से नहीं रखा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने इस मामले में कानून मंत्री से हस्तक्षेप किए जाने की मांग की। कहा कि हत्यारों की सजा सुनिश्चित हो। इसके लिए प्रयास होने चाहिए। उन्होंने अंकिता भंडारी कांड में लिप्त वीआईपी को उत्तराखंड की सरकार की ओर से बचाने की कोशिशों पर नाराजगी जाहिर की। कहा कि अपराधी की कोई धर्म और जाति नहीं होती। इसलिए दोषियों के प्रति किसी भी प्रकार की उदारता बरतना न्याय की दृष्टि से कदापि उचित नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने बताया की कानून मंत्री रिजिजू ने शिष्टमंडल की बातों को अत्यंत ध्यानपूर्वक सुना और विश्वास दिलाया कि अपराधियों को हर हाल में सजा दिलाने के प्रयास किए जाएंगे। बाद में एक बैठक दिल्ली प्रेस क्लब मे हुई। इसमें छावला केस की पीड़िता के माता पिता के साथ उत्तराखंड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देव सिंह रावत भी शामिल हुए। सभी ने कानून मंत्री के आश्वासन पर विश्वास व्यक्त किया। इस मौके पर उत्तराखंड के सांसदो से आगामी संसद सत्र में इस मामले में दबाव बनाए जाने की अपील का प्रस्ताव पारित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर हरीश रावत ने सांसदों की खामोशी पर एक बार फिर नाराजगी जाहिर की। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के संयुक्त सचिव हरिपाल रावत, पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट कुशाल जीना, अनिल पंत और अमिताभ श्रीवास्तव, योगिता भयाना, विक्रांत प्रताप एडवोकेट शामिल थे।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।