19 में से पांच महाविद्यालयों ने टेके घुटने, श्रीदेव सुमन विवि की शरण में, एक्ट में प्रावधान नहीं, कौन भरेगा कोर्स की मान्यता की फीस
श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की ओर से जारी दो सितंबर 2021 के आदेश प्रभारी कुलसचिव प्रो. एमएस रावत की ओर से जारी किया गया है। इनमें कहा गया है कि 16 अशासकीय महाविद्यालयों (कुल 19 हैं, इनमें तीन का मामला हाईकोर्ट में लंबित है, ऐसे में उन्हें गिनती में नहीं लिया गया है) में से पांच अनुदानिय महाविद्यालयों को एचएनबी गढ़वाल विवि श्रीनगर से अनापत्ति प्राप्त होने के कारण अब श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के संबद्ध कर दिया गया है।
ये हैं पांच कालेज
बाल गंगा महाविद्यालय सेंदुल केमर टिहरी, एसएमजेएनपीजी कॉलेज हरिद्वार, हर्ष विद्या मंदिर पीजी कॉलेज रायसी हरिद्वार, आरएमपी पीजी कॉलेज गुरुकुल नारसन हरिद्वार, केएलडीएवी (पीजी) कॉलेज रुड़की जिला हरिद्वार।
संबद्धता के खिलाफ इन कॉलेज की प्रबंध समिति गई है हाईकोर्ट
एचएनबी केंद्रीय गढ़वाल विवि श्रीनगर से संबद्धता समाप्त किए जाने के खिलाफ देहरादून के डीएवी पीजी कॉलेज, बीएसएम कॉलेज रुड़की हरिद्वार, सतीकुंड महाविद्यालय हरिद्वार की प्रबंध समिति हाईकोर्ट की शरण में है। हाईकोर्ट में ये मामला विचाराधीन है। इस मामले में सभी पक्षों ने पत्रावलियां हाईकोर्ट में प्रेषित की हुई हैं। अब अंतिम सुनवाई तब होगी, जब भौतिक रूप से कोर्ट का कार्य प्रारंभ होगा।
शिक्षक संगठन कर रहे हैं आंदोलन
शिक्षक संगठन एचएनबी केंद्रीय गढ़वाल विवि श्रीनगर से संबद्धता समाप्त करने के खिलाफ आंदोलनरत भी हैं। उनका कहना है कि केंद्रीय विवि की डिग्री की मान्यता देश के साथ विदेश से भी हैं। साथ ही नए विश्वविद्यालयों से जोड़ने से कई तकनीकि दिक्कतें भी सामने आएंगी। इसका श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है।
ये दिए गए हैं परेशानियों के तर्क
-अशासकीय महाविद्यालयों के श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के संबद्ध करने पर सबसे बड़ी समस्या वेतन के मामले में आएगी। विश्वविद्यालय के एक्ट में अशासकीय महाविद्यालयों के कार्मिकों के वेतन और भत्ते के भुगतान के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है।
-अशासकीय महाविद्यालयों को श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय से संबद्ध करने के बाद कोर्स की मान्यता के लिए एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में संबद्ध होने वाले महाविद्यालय की संबद्धता और संचालित किए जा रहे कोर्स की मान्यता की फीस का कोई जिक्र नहीं है। ये फीस ही करोड़ों में बैठेगी। फीस के मामले में न तो सरकार की बोल रही है, न ही उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कुछ कहा जा रहा है। उच्च शिक्षा विभाग एक्ट में व्यवस्था न होने के बावजूद संबद्धता को अनुमति दे रहा है, जो कि सवाल खड़े करता है।
-उच्च शिक्षा विभाग के एक्ट में अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों को श्रीदेव सुमन विवि से जोड़ने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में एनओसी के लिए एक्ट में परिवर्तन की जरूरत है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।