ग्राफिक एरा में पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, पारंपरिक खेती बचाने का आह्वान

देहरादून में ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसिस में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विशेषज्ञों ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में तेजी से हो रहे बदलाव जंगल से मिलने वाले प्राकृतिक संसाधनों को खत्म कर रहे हैं। ये संसाधन कृषि क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह सम्मेलन कृषि व पशुधन में नवाचार व नई तकनीकों पर आयोजित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को मुख्य अतिथि जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा के निदेशक डा. सुनील नौटियाल ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों का पारिस्थिति तंत्र नाजुक, विविध व अनोखा है। जलवायु परिवर्तन यहां के पेड़ पौधों को नष्ट कर रहा है। उन्होंने कहा कि पुराने समय से ही हिमालय में बसे समुदाय पारम्परिक और प्रथाओं पर आधारित तरीकों से खेती करते आये हैं। ये प्रथाएं समय के साथ विलुप्त हो रही हैं। डा. नौटियाल ने छात्र-छात्राओं से नई तकनीकों व शोध की मदद से इन प्रथाओं को संरक्षित करने का आह्वान किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड काउंसिल फार बायोटेक्नोलॉजी के निदेशक डा. संजय कुमार ने कहा कि कृषि भूमि से मिलने वाला अनाज देश की बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। यहां की भूमि में जरूरी पोषक तत्वों की कमी भी एक गम्भीर समस्या है। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए नई तकनीकों की मदद से एक बेहतर रणनीति तैयार करने पर जोर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन आज सुविनियर व एब्सट्रैक्ट बुक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी और उत्तराखंड काउंसिल फोर बायोटेक्नोलॉजी के बीच एक एमओयू किया गया। सम्मेलन में कुलपति डा. संजय जसोला को डिसटिंगगुइश्ड लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह अवार्ड उन्हें सोसायटी फोर प्लांट रिसर्च की ओर से डा. एस. के. भटनागर ने दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर ने यूरोपियन बायोफोरमेटिक्स इंस्टीट्यूट कैम्ब्रिजशायर, यूनाईटेड किंगडम के सहयोग से किया। कार्यक्रम संयोजक व स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर के डीन डा. एम. के. नौटियाल ने धन्यवाद दिया। सम्मेलन में एचओडी डा. अरविन्द सिंह नेगी, डा. बलवन्त रावत, यूरोपियन बायोफोरमेटिक्स इंस्टीट्यूट के जार्ज बतिस्ता दा रोका व लुईस पावला मीराबुएनो के साथ विशेषज्ञ, शोधकर्ता, शिक्षक-शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। संचालन डा. पल्लवी जोशी ने किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।