सरकार के दावे और हकीकतः रुड़की के निजी अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने पर पांच कोरोना मरीजों की मौत
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सरकार उत्तराखंड में ऑक्सीजन को लेकर चाहे जो दावे कर रही हो, लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो रही है। अभी तक देश के दूसरे राज्यों में ऑक्सीजन की कमी से मरीजो की मौत की सूचनाएं आ रही थी, अब उतराखंड में ही ऐसी घटना सामने आई है। रुड़की के एक निजी अस्पताल में आक्सीजन की कमी के चलते कोरोना से संक्रमित पांच मरीजों की मौत हो गई।
अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि उन्होंने रुड़की की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को गत तीन मई की रात दस बजे ही इस संकट की जानकारी दे दी थी। रुड़की की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन ने एक संदेश भेजा था। इसके बाद रात को ही आक्सीजन की व्यवस्था कर दी गई। अस्पताल प्रबंधन को सेंट्रल सिस्टम के साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था भी रखनी चाहिए थी। उधर, हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर ने घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं। दूसरी ओर सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि इस प्रकरण की जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
विनय विशाल हेल्थ केयर हॉस्पिटल में 70 बेड हैं। इनमें से 50 पर सेंट्रल सिस्टम और 20 पर सिलिंडर से आक्सीजन दी जा रही है। यहां कोरोना से संक्रमित मरीज ही भर्ती हैं। एक युवक ने बताया कि उसकी मां का इलाज चल रहा था। रात डेढ़ बजे एकाएक मां को सांस लेने में समस्या होने लगी। कमरे में मौजूद तीन अन्य मरीजों की भी यही स्थिति थी। इस पर वह अस्पताल के स्टाफ को बुलाने गैलरी में आए तो वहां भगदड़ जैसे हालात थे। स्टाफ से पता चला कि ऑक्सीजन खत्म हो गई है।
स्टाफ ने उनसे फ्लोमीटर का इंतजाम करने को कहा ताकि सिलिंडर से ऑक्सीजन दी जा सके, लेकिन रात को फ्लोमीटर कहां मिलता। युवक ने बताया कि उसने डॉक्टर और स्टाफ से गुहार लगाई। अन्य मरीजों के तीमारदारों की भी यही हालत थी। करीब बीस मिनट की अफरातफरी के बाद आक्सीजन फिर से चालू हो गई, लेकिन तब तक महिला समेत पांच मरीज दम तोड़ चुके थे।
विनय विशाल हेल्थ केयर हॉस्पिटल के संचालक डा. विशाल घई ने बताया कि अस्पताल की ओर से रात दस बजे ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल व नोडल अधिकारी पल्लवी गुप्ता को सूचना दे दी गई थी कि उनके यहां तीन से चार घंटे के लिए ही आक्सीजन शेष है, लेकिन प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। समय से ऑक्सीजन नहीं आई। इसके चलते पांच मरीजों की जान चली गई।
उधर, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल ने कहा कि विनय विशाल हेल्थ केयर हॉस्पिटल में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से पांच मरीजों की मौत हुई है। प्रबंधन की ओर ऑक्सीजन खत्म होने की सूचना समय नहीं दी गई। जिन मरीजों की जान गई, उनमें से एक वेंटीलेटर और चार ऑक्सीजन बेड पर थे। जिलाधिकारी हरिद्वार को इस संबंध में पूरी रिपोर्ट दी जा रही है। अस्पताल प्रबंधन को वैकल्पिक व्यवस्था भी रखनी चाहिए थी।
दो मई को कर्नाटक में हुई थी 24 मौत
कर्नाटक के चामराजनगर जिला अस्पताल में बीती दो मई की रात 24 मरीजों की ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत हो गई थी। परिजनों ने आरोप लगाया था कि ये मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई।
चामराजनगर के जिस अस्पताल में ये हादसा हुआ है, उसे बेल्लारी से ऑक्सीजन की सप्लाई होनी थी। सप्लाई में देरी हुई, जिसके बाद 24 मरीजों की मौत हो गई। हादसे के बाद मैसूर से चामराजनगर के लिए ढाई सौ ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे गए। बताया जा रहा है कि, जिन मरीजों ने जान गंवाई है, उनमें अधिकतर वेंटिलेटर पर थे।
पांच मौत के बाद मेरठ के अस्पताल में हुआ था हंगामा
मेरठ मेडिकल थाना क्षेत्र के न्यूटीमा हॉस्पिटल में रविवार दो मई को कोरोना के पांच मरीजों की मौत हो गई थी। दो मरीजों के परिजनों ने आरोप लगाया कि ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने और इलाज में लापरवाही से मौत हुई हैं। इससे गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ भी की थी।
न्यूटीमा अस्पताल में रविवार दोपहर से शाम तक अस्पताल में पांच लोगों की मौत हो गई थी। परिजनों का कहना था कि ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने से मरीज तड़पने लगे और मरीजों ने दम तोड़ दिया। इसे लेकर अस्पताल में बखेड़ा हो गया। गुस्साए परिजन हंगामा करने लगे।
इस मामले में न्यूटीमा अस्पताल के एमडी डॉ. संदीप गर्ग ने कहा था कि पांच लोगों की मौत हुई है। उनके परिजन ऑक्सीजन के अभाव के कारण मौत होना बता रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है। लोग अपनों को खोने का गम बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और बेकाबू हो जा रहे हैं।
उधर, सीएमओ का कहना था कि मामले की जांच की जा रही है। अभी तक कि छानबीन करने पर ऐसा नहीं लग रहा है। हालांकि अभी क्लीन चिट नहीं दी है। गहन जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। अस्पताल में ऑक्सीजन थी, बाधित हुई या नहीं हुई। यह जांच का विषय है।
दिल्ली के बत्रा अस्पताल में हुई थी 12 की मौत
दिल्ली के बत्रा अस्पताल में शनिवार 1 मई दोपहर एक डॉक्टर समेत 12 कोविड-19 मरीजों की मौत कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई। यहां भी ऑक्सीजन समाप्त हो गई थी। ऑक्सीजन रि-सप्लाई के लिए टैंकर अस्पताल में दोपहर 1.30 बजे पहुंचे। इसके कारण अस्पताल के मरीज करीब 80 मिनट तक बिना ऑक्सीजन के ही रहे। इससे ये हादसा हुआ।
दिल्ली में ही हुई थी 25 की मौत
24 अप्रैल को दिल्ली के रोहिणी के जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से 25 मरीजों को देर रात मौत हो गई थी। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर का कहना था कि सरकार की तरफ से अस्पताल को 3.5 मीट्रिक टन ऑक्सीजन अलॉट की गई है, जिसको फिर रीफिल होना था, लेकिन देर रात रीफिल नही हुई। 23 अप्रैल की रात महज 1500 लीटर रीफिलिंग की गई थी। इसी कारण अस्पताल के पास ऑक्सीजन खत्म हो गई और 25 कोविड मरीजों की मौत हो गई।
अमृतसर में छह ने तोड़ा था दम
24 अप्रैल को ही ऑक्सीजन की कमी से अमृतसर के एक निजी अस्पताल में छह लोगों की मौत हो गई थी। फतेहगढ़ चूड़ियां बाईपास रोड स्थित नीलकंठ अस्पताल में छह लोगों ने ऑक्सीजन की कमी के कारण दम तोड़ दिया थी।
ग्वालियर में दो की मौत
24 अप्रैल को ही ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल मेंऑक्सीजन की कमी से 2 कोविड मरीजों की मौत हो गई थी। 65 साल के राजकुमार बंसल और 75 साल के फुंदन हसन की ऑक्सीजन खत्म होने के बाद शिफ्टिंग की जा रही थी। इस बीच उनकी सांसें रुक गईं।
नासिक में 22 ने तोड़ा था दम
21 अप्रैल को महाराष्ट्र के नासिक में डॉ. जाकिर हुसैन अस्पताल के बाहर ऑक्सीजन टैंकर लीक होने से 22 लोगों ने दम तोड़ दिया था। लीकेज के कारण अस्पताल में 30 मिनट तक ऑक्सीजन सप्लाई बाधित रही। इसके कारण वेंटिलेटर पर रखे गए 22 मरीजों की मौत हो गई थी।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
आज भी आक्सीजन की कमी होना बहुत दुखद है उत्तराखण्ड सरकार सो रही है