पहले निर्यात कर दी ऑक्सीसन, अब करेंगे आयात, कांग्रेस ने उठाए सवाल, दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त रुख

देश भर में कोविड अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं एक सच्चाई ऐसी सामने आई कि ये कमी सरकार की दूरदर्शिता की कमी से पैदा हुई। भारत से ऑक्सीजन की धड़ल्ले से निर्यात किया जा रहा था। यहां तक वर्ष 19 की अपेक्षा वर्ष 20 में ये निर्यात दो से तीन गुना अधिक था। अब भारत में ही ऑक्सीजन की कमी के चलते सरकार ऑक्सीजन के आयात की बात कह रही है। साथ ही ऑक्सीजन की कमी के मामले में कांग्रेस ने सरकार पर सवाल उठाए। वहीं, हाईकोर्ट दिल्ली ने भी इसे लेकर सख्त रुख दिखाया।
चेताने के बाद भी नहीं चेती सरकार
देश में कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों और चरमराती स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कांग्रेस ने मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए आक्रामक रुख अख्तियार किया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि भारत सरकार के एम्पावर्ड ग्रूप की ओर से मार्च 2020 में ऑक्सीजन की कमी को लेकर चेताए जाने के बावजूद सरकार ऑक्सीजन विदेश भेजती रही।
धड़ल्ले से होता रहा निर्यात
कांग्रेस प्रवक्ता ने फेसबुक पर इससे संबंधित एक ब्लॉग लिखा। इसके अनुसार मार्च 2020 में भारत सरकार के एम्पावर्ड ग्रूप ने ऑक्सीजन उपलब्ध करने बारे चेताया था। बावजूद इसके मोदी सरकार ने अप्रैल 20-जनवरी 21 के बीच 9,294 मेट्रिक टन ऑक्सीजन विदेश निर्यात कर दी। अब 16 अप्रैल, 2021 को मोदी सरकार कह रही है कि वो 50,000 मेट्रिक टन ऑक्सीजन आयात करेंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अप्रैल 2021 में ऑक्सीजन आयात का ऑर्डर दे रहे थे तो फिर अप्रैल 2020-जनवरी 2021 के बीच लगभग 10,000 मेट्रिक टन ऑक्सीजन विदेश क्यों भेज रहे थे।
सरकार से पूछा सवाल
कांग्रेस नेता के ब्लॉग के जरिए सरकार से सवाल पूछा कि ये 50,000 मेट्रिक टन ऑक्सीजन कब आएगी और कब मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसका कुछ अता पता नही. तब तक दम तोड़ते मरीजों और उनके परिवारों को क्या कहें? कि मोदी जी 18 घंटे मेहनत कर शायद 6 महीने में ऑक्सीजन मंगा देंगे, सांसे रोके रखें? सुरजेवाला के अनुसार सरकार ने PM CARE Fund से 21 अक्टूबर, 2020 को देश के 150 अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का टेंडर जारी किया था, लेकिन 6 महीने बाद तक उनका अता पता नही.
घोषणा तक सीमित
उन्होंने कहा कि अब 6 अप्रैल, 2021 को 100 नए ऑक्सीजन प्लांट लगाने की नई घोषणा हो गई. जब तीसरी कोरोना वेव आएगी तो तीसरी घोषणा हो जाएगी। बकौल रणदीप सुरजेवाला, बस टेलिविजन की सुर्खियां देखिए और मोदी सरकार के गुणगान करिए कि क्या बढ़िया काम कर रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि 18 घंटे काम करने वाली देश की सरकार ने ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट करने वाले टैंकर का इंतजाम ही नही किया है। न ही ऑक्सीजन ले जाने वाले जम्बो व डयूरा सिलेंडर उपलब्ध हैं। न ही 1 साल में अस्पतालों में ऑक्सीजन स्टोर करने की क्षमता बढ़ाई है।
अर्थव्यवस्था ध्वस्त करने में जुटी रही सरकार
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि क्योंकि मोदी सरकार किसान मजदूर आढ़ती की रोजी रोटी छीनने, दुकान धंधे बंद करवाने, अर्थ व्यवस्था डुबोने, रोजगार छिनने में व्यस्त थी। मोदी और भाजपा है तो यही मुमकिन है. इसी के साथ उन्होंने मीडिया रिपोर्ट शेयर की है। इसके अनुसार वित्त वर्ष 2021 में भारत ने 9300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन एक्पोर्ट की है।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक हित मानव जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं। इसके साथ ही अदालत ने कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए इस्पात व पेट्रोलियम उत्पादन में कुछ कमी करने का सुझाव दिया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि अगर लॉकडाउन जारी रहा तो सब कुछ ठप हो जाएगा और ऐसी स्थिति में इस्पात, पेट्रोल और डीजल की क्या जरूरत होगी।
औद्योगिक उपयोग पर रोक को क्यों हो रहा इंतजार
बेंच ने कहा लॉकडाउन के दौरान क्या विकास होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने केन्द्र सरकार से सवाल किया कि ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग पर रोक लगाने के लिए 22 अप्रैल तक का इंतजार क्यों किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा-कमी अभी है। आपको अभी ऐसा करना होगा। इस्पात और पेट्रोलियम उद्योगों से कुछ ऑक्सीजन लेने की ओर देखिए। उनके पास बड़े ‘पॉकेट’ और बड़ी ‘लॉबी’ हैं, लेकिन उन्हें बताएं कि अगर उन्हें उत्पादन में कटौती करनी है, तो वे उत्पादन में कटौती कर सकते हैं। जीवन को बचाना होगा।
मरीज को रुकने को कह सकते हैं क्या
बेंच ने केन्द्र सरकार के एक वकील के उदाहरण का हवाला दिया, जिनके पिता अस्पताल में ऑक्सीजन पर थे, लेकिन इसकी कमी के मद्देनजर इसे बचाने के लिए कम दबाव में ऑक्सीजन दिया जा रहा था। कोर्ट ने सवाल किया-क्या आप उन्हें 22 अप्रैल तक रुकने को कह सकते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
मोदी है तो आक्सीजन का निर्यात सम्भव है और लोगों का मरना तय है.