चुनावी बॉंड के जरिये जबरन वसूली के आरोप में घिरीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कोर्ट का मुकदमा दर्ज करने का आदेश
1 min readचुनावी बॉंड का जिन्न एक बार फिर से बोतल से बाहर निकलता नजर आ रहा है। अबकी बार इसके चक्रव्यूह में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण फंस गई हैं। निर्मला सीतारमण के खिलाफ कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड के जरिये कथित जबरन वसूली के मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। ये आदेश बेंगलुरु की पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव कोर्ट ने दिया है। जनाधिकार संघर्ष परिषद (जेएसपी) के सह-अध्यक्ष आदर्श अय्यर ने बेंगलुरु की अदालत में शिकायत दर्ज कर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शिकायत में कई नेताओं और अधिकारियों के नाम
आदर्श अय्यर ने आरोप लगाया कि चुनावी बॉन्ड के जरिये धमकी देकर जबरन वसूली की गई। जन अधिकार संघर्ष परिषद ने पिछले साल अप्रैल में 42वें ACMM कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, ईडी अधिकारियों, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पार्टी के अन्य राष्ट्रीय नेताओं, बीजेपी के तत्कालीन कर्नाटक अध्यक्ष नलिन कुमार कटील, बी वाई विजयेंद्र के खिलाफ शिकायत की थी। अदालत ने शिकायत पर सुनवाई करते हुए बेंगलुरु के तिलक नगर पुलिस थाने को चुनावी बॉन्ड के जरिए जबरन वसूली का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया।(खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बेंगलुरु की अदालत ने याचिकाकर्ता की शिकायत पर विचार करने के बाद बेंगलुरु के तिलक नगर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बालन ने दलीलें रखीं। मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए किया था रद्द
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना शुरू की। इसके बाद एसबीआई के चुनावी बॉन्ड के जरिए लोग राजनीतिक दलों को चंदा दे सकते हैं। इस योजना के तहत सरकार राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में नकद दान को खत्म करना था। दावा किया गया कि राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बनी रहेगी। हुआ इसके विपरीत। चुनावी बांड से चंदा देने वालों का नाम गुप्त रखा जाने लगा। पिछले साल विपक्षी दलों के आरोपों और इसके खिलाफ तमाम याचिकाओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताकर रद्द कर दिया था। साथ ही इसकी सारी जानकारी वेबसाइट में डालने के आदेश दिए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सामने आए थे चौंकाने वाले आंकड़े
जब चुनावी बांड से चंदा सार्वजनिक हुआ तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। ऐसी कई कंपनियों से जुड़े लोग थे, जिन पर ईडी और सीबीआई ने शिकंजा कसा और इसके बाद उन्होंने बीजेपी को करोड़ों रुपये का चंदा दिया। कई को चंदे की एवज में बड़े प्रोजेक्ट भी दिए गए। यही नहीं, बीफ का व्यापार करने वाली कंपनी, दवा निर्माता कंपनियों से भी मोटा चंदा लिया गया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।