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November 11, 2024

मशहूर लेखक और स्तंभकार तारेक फतेह का निधन, बेटी ने बताया हिंदुस्तान का बेटा

पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक और स्तंभकार तारिक फतेह का सोमवार को 73 साल की उम्र में निधन हो गया। उनकी बेटी नताशा फतह ने सोमवार को इसकी पुष्टि की। पाकिस्तान के मशहूर लेखक तारिक फ़तेह भारत में एक लंबे वक्त से रह रहे थे। आपको बता दें कि तारिक फ़तेह बीते कई दिनों से कैंसर की बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पाकिस्तान के मशहूर लेखक तारेक फतह 20 नवंबर 1949 को आजादी के बाद बने पाकिस्तान के कराची में पैदा हुए थे। वह 1960 और 1970 के दशक के अंत में वामपंथी छात्र आंदोलन के नेता बने रहे। यही वो समय था जब उन्हें पाकिस्तान सरकार द्वारा 2 बार गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद जनरल जिया-उल हक ने 1977 में उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया और उन्हें देश में एक पत्रकार के रूप में काम करने से रोका। वह 1987 में कनाडा गए और तब से एक पत्रकार के रूप में काम में जुटे रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तारेक फतह के बारे में सबसे खास बात ये थी कि उन्होंने हमेशा अपने भारतीय मूल से संबंधित होने पर गर्व किया। उन्होंने अक्सर अपने साक्षात्कारों में बताया कि वह एक राजपूत परिवार से थे, जिसे 1840 के दशक में जबरन इस्लाम में कन्वर्ट कर दिया गया था। उन्होंने हमेशा ही खुद को पाकिस्तान में पैदा हुए हिंदुस्तानी के रूप में पहचाना। वे इस्लामी कट्टरता के घोर आलोचक थे। इसलिए, वह अक्सर दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा हमला किया गया था। हालाँकि, उन्होंने निडर होकर अपने विचारों को विभिन्न मीडिया, ब्लॉग और पुस्तकों के लिए अपने लेखन के माध्यम से रखा। जिसके चलते देश में वो तमाम लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गौरतलब है कि तारिक फतह भारत के कई न्यूज चैनलों पर अक्सर डिबेट शो में दिखाई देते है। वह आए दिन इस्लामी कट्टरवाद और पाकिस्तान के खिलाफ बयान देते रहते है। यही वजह है कि कई बार उन्हें जान से मारने की धमकी मिल चुकी है। खुद तारिक फतह ने बताया कि कुछ लोगों ने उनका सिर तन से जुदा करने की योजना बनाई है। इससे पहले साल 2017 में तारेक फतेह का सिर कलम करने वाले को एक मुस्लिम संगठन ने 10 लाख रुपये की घोषणा की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

1987 में कनाडा हो गए थे शिफ्ट
पाकिस्तान में जन्मे तारेक फतेह साल 1987 में कनाडा शिफ्ट हो गए थे। रिपोर्टर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाले तारेक फतेह लेखक, रेडिया और टीवी कमेंटेटर भी थे। तारेक फतेह कई भाषाओं के जानकार थे और उर्दू के अलावा हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी और अरबी भाषाओं पर भी उनकी काफी अच्छी पकड़ थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बेटी ने बताया हिंदुस्तान का बेटा
नताशा फतेह ने ट्वीट कर कहा, ‘पंजाब का शेर. हिन्दुस्तान का बेटा, कनाडा का प्रेमी, सत्य वक्ता, न्याय के लिए लड़ने वाला, दलितों और शोषितों की आवाज. तारेक फतेह का निधन हो गया है। उनकी क्रांति उन सभी के साथ जारी रहेगी जो उन्हें जानते और प्यार करते थे. क्या आप हमें जॉइन करेंगे? 1949-2023 (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तारेक फतेह भी खुद को कहते थे हिंदुस्तानी
तारेक फतेह का जन्म भले ही कराची में हुआ था, लेकिन वो खुद को हिंदुस्तानी कहते थे। इतना ही नहीं, वह दोनों देशों के विभाजन को गलत बताते थे और पाकिस्तान को भी भारतीय संस्कृति का ही हिस्सा मानते थे। तारेक फतेह अपनी जिंदगी में हमेशा धार्मिक कट्टरता के खिलाफ रहे और भारतीय संस्कृति को एकता का सूत्र मानते थे।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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