नहीं रहे मशहूर शायर मुनव्वर राणा, 71 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा
मशहूर शायर मुनव्वर राणा का रविवार को लखनऊ में निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे और काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनका एसजीपीजीआई में इलाज चल रहा था। मुनव्वर राना उर्दू साहित्य के बड़े नाम हैं। उन्हें 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। बीते दिनों किडनी संबंधित परेशानियों के बाद उन्हें लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था। यहां वह आईसीयू वार्ड में भर्ती थे। रविवार 14 जनवरी की देर रात साढ़े 11 बजे के आसपास उन्होंने अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि उनका निधन दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुनव्वर राणा की तबीयत पिछले साल भी काफी बिगड़ गई थी। तब भी उन्हें लखनऊ के अपोलो हॉस्पिटल मे भर्ती कराया गया था। तब सेहत इतनी बिगड़ गई थी कि मुनव्वर को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था। बाद में स्थिति कुछ सुधरी थी. लेकिन कुछ समय बाद फिर तबीयत बिगड़ गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुनव्वर राणा का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली में 26 नवंबर 1952 को हुआ था। मुनव्वर अपनी शायरियों के लिए, कविताओं के लिए पहचाने जाते रहे हैं। उर्दू के अलावा मुनव्वर ने हिन्दी और अवधी में भी काफी लिखा है. राणा की किताब ‘शहदाबा’ को 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला था। इसमें कविताओं और शायरियों का संग्रह है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके अलावा मुनव्वर को अमीर ख़ुसरौ पुरस्कार, मीर तक़ी मीर पुरस्कार, डॉ ज़ाकिर हुसैन पुरस्कार और सरस्वती समाज पुरस्कार भी मिले हैं। ये सभी साहित्य जगत के बड़े पुरस्कार माने जाते हैं। मुनव्वर राणा के पांच बच्चे हैं। उनकी बेटी सुमैया समाजवादी पार्टी के साथ जुड़ी हुई हैं। दूसरी बेटी फौजिया कांग्रेस में हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बीते दिनों मुनव्वर को कुछ विवादों का भी सामना करना पड़ा था, जब उन्होंने तालिबान को लेकर एक बयान दिया था। इस बयान को तालिबान के समर्थन के रूप में लिया गया और विवाद पैदा हो गया। उत्तर प्रदेश सरकार पर की उनकी कुछ टिप्पणियां भी विवाद में आ गई थीं। मुनव्वर राणा देश के जाने-माने शायरों में गिने जाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्हें साहित्य अकादमी और माटी रतन सम्मान के अलावा कविता का कबीर सम्मान, अमीर खुसरो अवार्ड, गालिब अवार्ड आदि से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उनकी दर्जन भर से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हैं। इनमें मां, गजल गांव, पीपल छांव, बदन सराय, नीम के फूल, सब उसके लिए, घर अकेला हो गया आदि शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुनव्वर राणा की एक बड़ी पहचान उनके उस लेखन के चलते भी है, जो कुछ उन्होंने ‘मां’ पर लिखा है। अब मुनव्वर राणा हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका लिखा हमारे बीच रहेगा। मां पर लिखे उनके कुछ चर्चित शेर पढ़िए।
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, मां दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
ऐ अंधेरे देख तेरा मुंह काला हो गया, मां ने आंखें खोल दीं, घर में उजाला हो गया
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई, मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से मां आई
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।