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March 14, 2025

दीपावली में भले ही कम हुए पेट्रोल और डीजल के दाम, विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले दिनों में और बढ़ेंगे रेट

केंद्र सरकार ने दीपावली के मौके पर भले ही उत्पाद शुल्क में कटौती कर लोगों को पेट्रोल और डीजल के दाम में कुछ राहत दी, लेकिन ऊर्जा विशेषज्ञ की मानें दो आने वाले महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में फिर से बढ़ोत्तरी का दौर शुरू होगा।

केंद्र सरकार ने दीपावली के मौके पर भले ही उत्पाद शुल्क में कटौती कर लोगों को पेट्रोल और डीजल के दाम में कुछ राहत दी, लेकिन ऊर्जा विशेषज्ञ की मानें दो आने वाले महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में फिर से बढ़ोत्तरी का दौर शुरू होगा। केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर सात रुपये और डीजल पर दस रुपये उत्पाद शुल्क घटाया तो कई भाजपा शासित राज्यों ने भी पेट्रोल और डीजल में वैट की दरों में कटौती की है। इससे कई राज्यों में सात से लेकर 12 रुपये तक पेट्रोल और डीजल के दाम घटे हैं।
ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा की मानें तो आने वाले महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में फिर से बढ़ोतरी होगी। तनेजा ने न्यूज एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए कहा कि यह समझना जरूरी है कि हम तेल का आयात करते हैं। यह एक आयातित वस्तु है। आज, हमें अपने कुल तेल उपयोग का 86 प्रतिशत आयात करना पड़ता है। तेलों की कीमतें किसी सरकार के हाथ में नहीं हैं। पेट्रोल और डीजल दोनों ही नियंत्रण मुक्त वस्तुएं हैं। जुलाई 2010 में मनमोहन सिंह की सरकार ने पेट्रोल को नियंत्रण मुक्त किया था और 2014 में मोदी सरकार ने डीजल को नियंत्रण मुक्त किया।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में तेजी का प्रमुख कारण कोविड महामारी है। उन्होंने कहा कि जब भी मांग और आपूर्ति में असंतुलन होता है, कीमतों में वृद्धि होना तय है। दूसरा कारण तेल क्षेत्र में निवेश की कमी है। क्योंकि सरकारें सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय / हरित ऊर्जा क्षेत्रों को बढ़ावा दे रही हैं। इसलिए आने वाले महीनों में कच्चा तेल और अधिक महंगा होगा। 2023 में कच्चे तेल की कीमत 100 रुपये तक बढ़ सकती है।
पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने के केंद्र सरकार के कदम के कारण के बारे में पूछे जाने पर तनेजा ने कहा कि जब तेल की कीमतें कम होती हैं, तो सरकार उत्पाद शुल्क बढ़ाती है। जब तेल बहुत महंगा होता है, तो सरकार उत्पाद शुल्क कम करती है। COVID के समय में तेल की खपत और बिक्री 40 प्रतिशत तक कम हो गई थी। बाद में, यह 35 प्रतिशत तक नीचे आ गई थी। जब बिक्री कम हो जाएगी तो सरकार की आय अपने आप घट जाएगी, लेकिन अब वह बिक्री पूर्व-कोविड ​​​​युग की तरह वापस आ गई है।
दूसरा, जीएसटी संग्रह आर्थिक सुधार के लिए सकारात्मक संकेत दे रहा है। सरकार पहले की तुलना में अपेक्षाकृत आरामदायक स्थिति में है। साथ ही, हमारी अर्थव्यवस्था डीजल पर आधारित है। अगर डीजल की कीमतें बढ़ती हैं तो हर चीज की कीमत बढ़ जाती है। मुद्रास्फीति (महंगाई) अधिक है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है।
तनेजा का मानना ​​है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल किया जाना चाहिए ताकि ज्यादा राहत मिल सके और ज्यादा पारदर्शिता आ सके। बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने उपभोक्ताओं को राहत देते हुए बुधवार को दीवाली के के दिन पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की थी। ईंधन की रिकॉर्ड उच्च कीमतों के बीच, तीन वर्षों में केंद्रीय उत्पाद शुल्क में यह पहली कटौती है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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