मणिपुर हिंसा को लेकर यूरोपीय संसद ने की भारत की आलोचना, भारत ने जताई आपत्ति
एक तरफ़ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ़्रांस का दौरा किया। वहीं, दूसरी तरफ़ यूरोपीय संसद ने मणिपुर हिंसा को लेकर भारत की तीखी आलोचना की है। यूरोपीय संसद में लाए गए प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि मणिपुर में अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता के चलते ताज़ा हिंसा के हालात पैदा हुए हैं। इस प्रस्ताव में चिंता ज़ाहिर की गई है कि राजनीति से प्रेरित विभाजनकारी नीतियों से इस इलाक़े में हिंदू बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता के चलते मणिपुर में हिंसा के हालात पैदा हुए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यूरोपीय संसद के बारे में
यूरोपीय संसद यूरोपीय संघ (ईयू) की प्रमुख विधिक निकाय का प्रतिनिधित्व करती है। इसमें 28 सदस्य राष्ट्रों के कुल 751 सदस्य हैं। पहले इन सदस्यों की संख्या 766 होती थी। इसके सदस्यों का निर्वाचन प्रत्येक पाँच वर्ष में आयोजित अनेक चुनावों के माध्यम से किया जाता है। दुनिया में भारत की संसद के बाद दूसरी ये संसद सबसे बड़े मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करती है। 2009 में इसके 37.5 करोड़ मतदाता थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत पर मणिपुर मामले में अंतरराष्ट्रीय दबाव
माना जा रहा है कि मणिपुर हिंसा को लेकर भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर हिंसा को लेकर एक शब्द तक नहीं बोला है। यूरोपीय संसद में मणिपुर हिंसा को लेकर हुई बहस पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और इसे अंदरूनी मामला बताया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तीन प्रस्तावों को किया गया था स्वीकार
गुरुवार को यूरोपीय संसद ने वेनेज़ुएला, किर्गिस्तान और भारत में मानवाधिकार हालात पर तीन प्रस्तावों को स्वीकार किया था। भारत के मणिपुर में हिंसा पर प्रस्ताव में कहा गया है कि मणिपुर राज्य सरकार ने इंटरनेट कनेक्शन बंद कर दिए हैं और मीडिया द्वारा रिपोर्टिंग में गंभीर रूप से बाधा पैदा की गई है। हालिया हत्याओं में सुरक्षा बलों के शामिल होने को लेकर प्रस्ताव में कहा गया है कि इससे प्रशासन के प्रति भरोसा और कम हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जरूरी उपाय करने का सुझाव
प्रस्ताव के अनुसार, मणिपुर में बीते मई से हिंसा शुरू हुई और अब तक 120 लोगों की मौत हुई है। 50,000 लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा है और 17,000 घरों और 250 चर्च नष्ट कर दिए गए हैं। यूरोपीय संसद ने कड़े शब्दों में भारतीय प्रशासन से हिंसा पर काबू करने की अपील की है और जातीय और धार्मिक हिंसा रोकने और सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए तुरंत सारे ज़रूरी उपाय करने को कहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भड़काऊ बयानबाजी बंद करने की अपील
यूरोपीय संसद के सदस्यों ने भारतीय प्रशासन से हिंसा की जांच के लिए स्वतंत्र जांच की इजाज़त देने, दंड से बच निकलने के मामलों से निपटने और और इंटरनेट बैन ख़त्म करने की मांग की है। उन्होंने सभी पक्षों से भड़काऊ बयानबाज़ी बंद करने, भरोसा कायम करने और तनाव में निष्पक्ष भूमिका निभाने की भी अपील की है। साथ ही यूरोपीय संसद ने यूरोप-भारतीय साझीदारी में व्यापार समेत सभी पक्षों में मानवाधिकार के मुद्दे को शामिल करने की बात दोहराई है। यूरोपीय संसद के सदस्यों ने यूरोप-भारत मानवाधिकार डायलॉग शुरू करने की वकालत की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हाथ उठाकर कराई गई वोटिंग
संसद सदस्यों ने कहा कि यूरोप और इसके सदस्य देश भारत के साथ उच्च स्तरीय वार्ताओं में व्यवस्थित और सार्वजनिक रूप से मानवाधिकार से जुड़ी चिंताओं ख़ासकर- बोलने की आज़ादी, धर्म मानने की आज़ादी और सिविल सोसाइटी के लिए सिकुड़ते मौकों के मुद्दे को उठाएं। इस प्रस्ताव पर हाथ उठाकर वोटिंग कराई गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत ने जताई आपत्ति, बताया आंतरिक मामला
यूरोपीय संसद में मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर बहस की बात सामने आने पर भारत ने आपत्ति जताई है। भारत ने कहा है कि ये देश का आंतरिक मसला है। दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए, विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा था कि यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है। हम यूरोपीय संसद में होने वाली घटनाओं से अवगत हैं और हमने संसद के संबंधित सदस्यों से संपर्क किया है। हमने यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस बात पर टिप्पणी से किया इनकार
हालांकि, विदेश सचिव ने मणिपुर के अखबार की एक रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सरकार ने यूरोपीय संसद तक अपनी बात पहुंचाने के लिए ब्रुसेल्स में एक प्रमुख लॉबिंग फर्म ‘अल्बर एंड गीगर’ से संपर्क किया है। जिसने कथित तौर पर भारत सरकार की ओर से एक पत्र भेजा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत ने प्रस्ताव लाने से रोकने की कोशिश की
‘द हिंदू’ के मुताबिक़, भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने नई दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि भारत ने इस मुद्दे पर यूरोपीय संसद के सांसदों को इस मुद्दे को उठाने से रोकने की कोशिश की थी। भारत ने इस मुद्दे पर अपना नज़रिया उनके सामने रखा था, इसके बावजूद ये मुद्दा उठा रहे हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।