Recent Posts

Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Recent Posts

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 14, 2025

प्रख्यात लेखक रस्किन हुए 87 साल के, हर जन्मदिन पर करते थे ये काम, अबकी कोरोना की वजह से टाला, जानिए उनके बारे में

प्रख्यात लेखक रस्किन बांड आज 19 मई को 87 वर्ष के हो गए हैं। रस्किन स्वयं हर साल अपने जन्म दिन के मौके पर प्रशंसकों के बीच नई पुस्तक का लोकार्पण करते हैं। कोरोना कर्फ्यू के चलते अब उन्होंने इसे टाल दिया है।

प्रख्यात लेखक रस्किन बांड आज 19 मई को 87 वर्ष के हो गए हैं। रस्किन स्वयं हर साल अपने जन्म दिन के मौके पर प्रशंसकों के बीच नई पुस्तक का लोकार्पण करते हैं। इस बार भी वह ‘ऑल टाइम फेवरेट्स फॉर चिल्ड्रन’ लांच करना चाहते थे। कोरोना कर्फ्यू के चलते अब उन्होंने इसे टाल दिया है। वह कहते हैं कि- हालात सामान्य हो जाएं, फिर देखेंगे। इन दिनों वह एक नई रचना में व्यस्त हैं। फिलहाल वह परिवार के साथ जन्मदिन मना रहे हैं। उनका आवास मसूरी के लंढौर क्षेत्र मे है।
हिमाचल प्रदेश के कसौली में 19 मई 1934 को जन्मे रस्किन बांड वर्ष 1964 में पहली बार मसूरी आए और फिर यहीं के होकर रह गए। पिता आब्रे क्लार्क रायल एयर फोर्स में थे। उनका बचपन शिमला में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी वहीं हुई। पहाड़ों की रानी की खूबसूरती उनको इस कदर भायी कि लंढौर कैंट में आशियाना बना लिया।
रस्किन कहते हैं, ‘इन वर्षों में मैंने मसूरी को बदलते देखा है। प्लीज सभी लोग मसूरी की खूबसूरती को बनाए रखने का प्रयास करें। मसूरी की वादियों में उनकी कई प्रसिद्ध रचनाएं अंकुरित हुईं। इनमें प्रमुख हैं ‘द ब्लू अम्ब्रेला’, ‘द नाइट ट्रेन एट देहली’, ‘देहली इज नॉट फॉर रस्किन’ और ‘अवर ट्री स्टिल ग्रो इन देहरा’। एक था रस्टी कहानी पर बने टीवी शो को दर्शकों ने बहुत सराहा था। उनकी रचनाओं पर जुनून, सात खून माफ और द ब्लैक कैट जैसी फिल्में भी बन चुकी हैं। साहित्य के क्षेत्र में रस्किन के योगदान के लिए उन्हें 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1999 में पद्मश्री व 2014 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
रस्कीन के बारे में
इनका जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली के एक फौजी अस्पताल में हुआ था। वे अब्रे बॉण्ड और एरिथ क्लार्के के पुत्र हैं। बचपन में ही इनके पिता की मृत्यु मलेरिया से हो गई थी। तत्पश्चात इनकी परवरिश शिमला, जामनगर, मसूरी, देहरादून तथा लंदन में हुई। आज-कल वे अपने परिवार के साथ देहरादून जिला के मसूरी में रहते है। वे अग्रेंजी मूल के लेखक हैं। उन्होने बिशप कॉटन नामक धर्मशाला में अभ्यास किया। उनकी बहन का नाम इलन बॉण्ड और भाई का नाम विल्यम बॉण्ड है।
बन चुकी हैं फिल्में
उनकी रचना ‘फ्लाइट ऑफ़ पिजन्स’ (कबूतरों की उडान) और ‘एंग्री रिवर’ (अप्रसन्न नदी) नामक कई उपन्यास पर फ़िल्म का रूप ले चुकी हैं। फिल्म अभिनेता/निर्माता शशि कपूर और निर्देशक श्याम बेनेगल ने 80 के दशक में ‘फ्लाइन ऑफ़ पिजन्स’ पर ही ‘जुनून’ नाम से एतिहासिक-प्रेम आधारित फिल्म बनाई गई। भारतीय फिल्म निर्देशक/निर्माता विशाल भारद्वाज ने उनकी रचना ‘सुज़ैन सेवेन हसबैंड’ पर ‘ सात खून माफ़’ जैसी रोमांटिक-थ्रिलर के साथ बाल-कथा ‘द ब्लू अंब्रेला’ नाम से भी हास्य-ड्रामा आधारित फिल्म बनाई।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *