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February 21, 2025

भूकंप ने खोली लोगों की नींद, दिल्ली एनसीआर में बेड से लेकर खिड़की हिली तो घर से बाहर भागे लोग

सोमवार 17 फरवरी की सुबह दिल्ली एनसीआर में लोगों की नींद भूकंप ने खोली। सुबह करीब पांच बजकर 55 मिनट और 36 सेकेंड पर भूकंप के चलते घरों के बेट से लेकर खिड़की, दरवाजे सब हिलने लगे। लोग दहशत के मारे घरों से बाहर भागने लगे। भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर के अलावा पड़ोसी राज्यों में भी महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक,  भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.0 थी और इसका केंद्र दिल्ली ही था। ऐसा जमाने बाद है, जब दिल्ली-एनसीआर की धरती ही भूकंप का केंद्र बनी है। इसकी गहराई 5 किलोमीटर थी। यह 28.59 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 77.16 डिग्री पूर्वी देशांतर पर था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

लोगों ने बताया कि काफी तेज झटके थे। बहुत तेज वाइब्रेशन के साथ भूकंप के झटके महसूस हुए। कुछ लोगों का ये भी कहना है कि लगा जैसे बम ब्लास्ट हुआ हो। भूकंप की वजह से एक दहशत का माहौल बन गया।अब तक इस भूकंप में किसी नुकसान की कोई खबर नहीं है। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम समेत अलग-अलग इलाकों में भूकंप के झटके महसूस हुए। फिलहाल भूकंप से किसी नुकसान की खबर नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दिल्ली में महसूस होते रहते हैं भूकंप के झटके
दिल्ली-एनसीआर भूकंपीय क्षेत्र IV में आता है। ये ऐसा इलाका होता है जहां भूकंप के तेज झटके आते रहते हैं। यहां बीच-बीच में झटके महसूस होते रहते हैं। 7 जनवरी को भी भारत, नेपाल और बांग्लादेश में सुबह के समय भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, नेपाल और भारत के सिक्किम की सीमा के पास चीन के कंट्रोल वाले तिब्बत क्षेत्र में सुबह 7.1 तीव्रता का ये भूकंप आया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये हैं भूकंप के कारण
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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