आधी रात के बाद उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भूकंप के झटके, सहमे लोग
उत्तराखंड में आधी रात के बाद बुधवार तड़के दो बजकर 19 मिनट पर भूकंप के झटके से लोग सहम उठे। ये झटके उत्तरकाशी जिले में महसूस किए गए। हालांकि, गहरी नींद के कारण कई लोगों को इसका पता नहीं चल पाया। जिन्हें धरती हिलने का अहसास हुआ, उन्होंने बिस्तर से उठकर घर से बाहर की तरफ भागने का प्रयास किया। कहीं किसी नुकसान की सूचना नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बुधवार तड़के 3.1 तीव्रता का भूकंप आया। ये भूकंप सुबह दो बजकर 19 मिनट 16 सेकंड के करीब आया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने बताया कि अक्षांश 30.87 था और देशांतर 78.19 था और गहराई 5 किमी दर्ज की गई थी। फिलहाल अभी तक जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस भूकंप से पहले रात ही दो भूकंप नेपाल में भी आए। नेपाल के बागलुंग में स्थानीय समयानुसार एक बजकर आठ मिनट पर 3.8 तीव्रता और एक बजकर 52 मिनट पर 4.3 तीव्रता का भूकंप आया। नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र (एनईएमआरसी) के मुताबिक, देर रात दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं भूकंप के कारण
भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किमी लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




