उत्तरकाशी में भूकंप के झटकों से दहशत में आए लोग, किसी नुकसान की सूचना नहीं
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में गत रात 10.31 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटकों से उत्तरकाशी के लोग दहशत में आ गए। भूकंप का केंद्र मातला वन रेंज बताया जा रहा है। जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.3 आंकी गई है। जो जमीन में पांच किलोमीटर की गहराई पर था। भूकंप के संबंध में सभी तहसीलों से जो रिपोर्ट आई है, उसमें कोई नुकसान की सूचना नहीं है। इससे प्रशासन ने राहत महसूस की। रात को झटके महसूस होने पर लोग घरों से बाहर निकल गए थे।
उत्तराखंड में उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे।
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं।
इस साल कई बार आ चुके हैं भूकंप
उत्तराखंड में हर साल छोटे-बड़े भूकंप आते रहते हैं। इसी साल 21 अप्रैल को चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिसका केंद्र चमोली जिला रहा। भूकंप की तीव्रता 3.3 और गहराई पांच किमी मापी गई है। इसका केंद्र चमोली बताया गया।
इससे पहले 13 अप्रैल को बागेश्वर जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.6 मैग्नाट्यूट आंकी गई। भूकंप का केंद्र बागेश्वर ही बताया गया। इसकी गहराई पांच किमी दूर मापी गई थी।
25 अगस्त उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले में शाम को 3.4 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस होने पर लोग घबराकर घरों से बाहर निकल गए। हालांकि कहीं किसी नुकसान की सूचना नहीं है। बताया जा रहा है कि भूकंप का केंद्र टिहरी जिले में था।
ये हैं भूकंप के कारण
भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किमी लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।
उत्तरकाशी से हरदेव पंवार की रिपोर्ट।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।