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April 24, 2025

उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी में भूकंप के झटके, एक दिन पहले पौड़ी में आया था भूकंप

शनिवार 12 फरवरी की सुबह एक बार फिर से उत्तराखंड की धरती डोल गई। टिहरी और उत्तरकाशी जिले में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए।

शनिवार 12 फरवरी की सुबह एक बार फिर से उत्तराखंड की धरती डोल गई। टिहरी और उत्तरकाशी जिले में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। हालांकि कहीं किसी नुकसान की सूचना नहीं है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का झटका सुबह करीब सुबह पांच बजकर तीन मिनट 34 सेकेंड पर महसूस किया गया। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.1 मापी गई। इसका केंद्र जमीन के भीतर 28 किलोमीटर की दूरी पर था। एक दिन पहले 11 फरवरी को पौड़ी गढ़वाल में भी अपराह्न तीन बजकर 42 मिनट में 2.7 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था।
इसी माह चौथी बार आया भूकंप
इससे पहले छह फरवरी की सुबह करीब 11 बजकर 27 मिनट 34 सेकेंड में हिमाचल प्रदेश में भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसकी 4.1 तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र के किन्नौर में जमीन के भीतर दस किलो मीटर नीचे था। इसके झटके उत्तरकाशी जिले में भी महसूस किए गए थे। पांच जनवरी को बसंत पंचमी के दिन भूकंप के दो अलग अलग झटकों से लोग दहल उठे थे। पहला झटका उत्तराखंड के उत्तरकाशी और आसपास के क्षेत्र में आया। तड़के करीब 3 बजकर 15 मिनट 59 सैकेंड में भूकंप का झटका महसूस किया गया था। ऐसे में इसी माह में आज चौथी बार उत्तराखंड में भूकंप के झटके महसूस किए गए।
भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं।
उत्तरकाशी और चमोली में आ चुके हैं बड़े भूकंप
उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे।
क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं और नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। फिर इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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