जब लोग सो रहे थे गहरी नींद में, तब उत्तरकाशी में भूकंप के झटके, 1991 की त्रास्दी की दिला गया याद
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में जब लोग देर रात गहरी नींद में थे, तो लोगों को भूकंप के झटके महसूस किए गए। अधिकांश लोगों को इसका पता चल ही नहीं पाया। जिन्हें पता चला तो उन्होंने शोर मचाया और लोग घरों से बाहर निकल गए। फिलहाल कहीं कोई नुकसान की सूचना नहीं है।
शुक्रवार की आधी रात के बाद एक बजकर 42 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.4 दर्ज हुी है। भूकंप का केंद्र केदारनाथ के निकट उत्तरकाशी-रुद्रप्रयाग जनपद की सीमा पर धरती के दस किलोमीटर भीतर दर्ज किया गया है।
बताया जा रहा है कि भटवाड़ी डुण्डा, मनेरी, मानपुर में भूकंप के हल्के झटके महसूस हुए हैं। रात को आए इस भूकंप से लोग डर गए। कई को वर्ष 1991 में आए बड़े भूकंप की याद ताजा हो गई। उत्तरकाशी में जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेन्द्र पटवाल ने बताया कि भूकंप से किसी भी तरह के नुकसान की कोई सूचना नही है।
भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं।
उत्तरकाशी और चमोली में आ चुके हैं बड़े भूकंप
उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।