इस साल धरती पर आने वाली है आफत, नासा ने लगाया भीषण गर्मी का अनुमान, वैज्ञानिकों ने बताई ये वजह
मई माह की शुरुआत में कुछ दिन मौसम ठंडा रहा, लेकिन अब गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस साल भयानक गर्मी पड़ेगी और बारिश कमजोर रह सकती है। वैज्ञानिक इसकी वजह अल-नीनो को बता रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मी अभी और बढ़ने वाली है। आने वाले समय में तापमान और भी ज्यादा बढ़ने वाला है। बताया जा रहा है कि इस साल भीषण गर्मी पड़ने वाली है। इसका कारण है अल नीनो। अल नीनो की वजह से वैज्ञानिक इसकी चेतावनी दे रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने कहा कि अल नीनो के कारण दुनिया भर में तापमान बढ़ेगा। NASA ने सेंटीनल-6 माइकल फ्रीलिश सैटेलाइट जरिए कुछ तस्वीरें जारी की है। इनमें देखा जा सकता है कि धरती पर गर्म लहरें बह रही है। यह लहरें ही बाद में अल-नीनो बन रही है। इन लहरों को केल्विन वेव्स कहा गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
समुद्र में उठ रही गर्म लहरें
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने अपने सेंटीनल-6 माइकल फ्रीलिश सैटेलाइट से धरती पर गर्म लहरों को बहते देखा है। यही लहरें आगे चलकर अल-नीनो बनती हैं. इन्हे केल्विन वेव्स कहा जाता है। नासा ने इन लहरों को अंतरिक्ष से ही कैप्चर किया है. सैटेलाइट से मिली तस्वीरों के मुताबिक ये लहरें प्रशांत महासागर में भारत समेत पूरे एशिया की ओर बढ़ रही हैं। हालांकि ऊंचाई में ये लहरें मात्र 2 से 4 इंच ऊंची हैं, लेकिन इनकी चौड़ाई हजारों किलोमीटर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसलिए हुई थी मई में ठंड
नासा के अनुसार यह बात मार्च-अप्रैल की है, जब प्रशांत महासागर में गर्म पानी की एक लहर दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट से पूर्व की ओर निकली थी। यही वजह थी कि मई का महीना पहले ठंडा हुआ और फिर अचानक गर्मी बढ़ गई। अल नीनो से पहले आने वाली लहरों के तौर पर भी जाना जाता है। जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में सेंटीनल-6 माइकल फ्रीलिश सैटेलाइट की मदद से अल-नीनो पर बाज की तरह नजर रखने वाले साइंटिस्ट जोश विलिस कहते हैं कि अगर यह लहर बड़ी बनती है तो पूरी दुनिया भयानक गर्मी की चपेट में होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
टूट सकते हैं रिकॉर्ड
नासा की ओर से जारी किए गए नक्शे में जो लाल और सफेद रंग का समुद्री इलाका दिख रहा है, वहां पर गर्म पानी बह रहा है। इस गर्म पानी की वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में भयानक गर्मी और बारिश का मौसम देखने को मिलेगा। जोश विलिस के मुताबिक इस बार अल-नीनो और सुपरचार्ज समुद्री तापमान का मिलन हो रहा है। जिस वजह से अगले 12 महीनों तक कई तरह के रिकॉर्ड टूट सकते हैं। जिनमें से ज्यादातर अधिकतम तापमान के सम्बंध में होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अंतरिक्ष से कैप्चर की तस्वीरें
नासा ने अल-नीनो से जुड़ी फोटो शेयर की है। अंतरिक से कैप्चर की गई इन तस्वीरों में धरती पर गर्म लहर नजर आ रही है। प्रशांत महासागर में गर्म पानी की एक लहर दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट से पूर्व की तरफ जा रही है। हालांकि यह मार्च-अप्रैल की है। सैटेलाइट ने यह फोटो 24 अप्रैल 2023 की है। मई का महीना ठंडा हुआ, फिर अचानक गर्मी तेज हो गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हजारों किलोमीटर तक फैली है केल्विन लहरें
नासा की सैटेलाइट से मिली तस्वीरों में केल्विन लहरें प्रशांत महासागर में भारत की तरफ आ रही है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया की तरफ बढ़ रही है। इनकी ऊंचाई में 2 से 4 इंच ऊंची है। इनकी चौड़ाई की बात करें तो हजारों किलोमीटर तक फैली हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूरी दुनिया में पड़ेगी भयानक गर्मी
साइंटिस्ट जोश विलिस जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में सेंटीनल-6 माइकल फ्रीलिश सैटेलाइट पर काम करते हैं। साइंटिस्ट जोश का कहना है कि हम इस अल-नीनो पर बाज की तरह नजर रख रहे है। यदि यह लहरे बड़ी होती है तो पूरी दुनिया में भयानक गर्मी पड़ेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खरीफ की फसल पर पड़ सकता है असर
इंडियन मेट्रोलोजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने अल नीनो को लेकर एक चेतावनी जारी की है। आईएमडी ने कहा है कि इस मानसून में एल नीनो के विकसित होने की लगभग 70 फीसदी संभावना है। अगर ये बात सच साबित हुई तो देश के खरीफ उत्पादन पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। पहले से ही इस बात का अनुमान लगाया जा रहा था कि इस साल मॉनसून देरी से शुरू हो सकता है। आने वाला दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून इस बार छोटा हो सकता है।अमेरिका के नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने इस बात पर मुहर लगाईं है कि अल नीनो के बनने की उम्मीद 80-90 फीसदी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या होता है अल नीनो
साल 1600 में अल नीनो का मामला पहली बार सामने आया था। आमतौर पर जब एक जगह से दूसरे जगह पर जाने वाली हवाएं कमजोर पड़ जाती हैं, तब नीनो की स्थिति बनती है। इसकी वजह से से तापमान और बढ़ता है। इससे समुंद्र का तापमान भी 2-3 डिग्री तक बढ़ जाता है। इस घटना को ही अल नीनो कहते हैं। मौसम के अलावा, इसका समुंद्री जीव-जन्तुओं पर भी असर पड़ता है। मछलियों की ढेरों प्रजातियां तापमान के इस बदलाव को सहन नहीं कर पाती हैं। कई बार कुछ जगहों पर इसका असर तुरंत दिखता है, लेकिन कई जगहों पर इस प्रभाव देर से देखने को मिलता है।
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