औषधि नियंत्रक ने हाईकोर्ट को बताया-गौतम गंभीर फाउंडेशन कोविड-19 दवा की अनाधिकृत जमाखोरी में हैं दोषी
दिल्ली सरकार के औषधि नियंत्रक (Drug ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि गौतम गंभीर फाउंडेशन को कोविड-19 मरीजों के उपचार में होने वाली दवा फैबीफ्लू की अनधिकृत तरीके से जमाखोरी करने, खरीदने और उसका वितरण करने का दोषी पाया गया है।

गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 25 मई को औषधि नियंत्रक को निर्देश दिया था कि वह कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल दवाओं की कमी के बीच नेताओं की ओर से बड़े पैमाने पर खरीदी गई दवाओं के मामले की जांच करे। अदालत ने टिप्पणी की कि भाजपा सांसद गौतम गंभीर अच्छी मंशा से दवाएं बांट रहे थे, लेकिन उनकी इस भावना ने अनजाने में ही ‘अपकार’ किया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के औषधि नियंत्रक को इसी तरह की जांच ‘आप’ विधायक प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार की ओर से ऑक्सीजन खरीदने और जमा करने के आरोपों के मामले में जांच करने और स्थिति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे।
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा था कि औषधि नियंत्रक को यह पता लगाना चाहिए कि कैसे किसी व्यक्ति के लिए फेबीफ्लू दवा की दो हजार पत्तियां खरीदना संभव हुआ जब पहले से ही उस दवा की कमी थी और कैसे दुकानदार ने इतनी दवा दी।
अदालत ने कहा कि गौतम गंभीर ने इसे अच्छी मंशा के साथ किया। हमें उनकी मंशा पर कोई शक नहीं है। वह हमारे देश के राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं लेकिन हमारा सवाल है कि क्या यह जिम्मेदाराना व्यवहार है जब आप जानते थे कि दवा की कमी है। पीठ ने कहा कि हम उनकी मंशा पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन जिस तरह का काम उन्होंने किया, वास्तव में वह अपकार था, भले वह अनजाने में ही हुआ होगा. यह कोई तरीका नहीं है कि आप बाजार से इतनी दवाएं खरीदें, निश्चित तौर पर नहीं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।