एनडीए गठबंधन से द्रौपदी मुर्मू होंगी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार, 18 जुलाई को होगा मतदान
राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार के नाम पर मंथन के लिए मंगलवार को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में भाजपा की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था, संसदीय बोर्ड की बैठक हुई। बैठक के बाद बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ऐलान किया कि झारखंड की पूर्व गवर्नर द्रौपदी मुर्मू एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार होंगी।
जेपी नड्डा ने बताया कि संसदीय बोर्ड की बैठक में करीब 20 नामों पर चर्चा हुई और आदिवासी महिला नेता मुर्मू पर मुहर लगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित संसदीय बोर्ड के अन्य सदस्य बैठक में मौजूद रहे।
अगर द्रौपदी मुर्मू चुनी जाती हैं तो वो भारत के इतिहास में पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। साथ ही अगर वो चुनाव जीतती हैं तो प्रतिभा पाटिल के बाद देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनेंगी। अगर वो जीतती हैं तो ओडिशा राज्य से आने वाली पहली राष्ट्रपति होंगी। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला गवर्नर रही हैं। वो ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता रही हैं, जिन्हें किसी भारतीय राज्य में गवर्नर बनाया गया हो और जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया हो।
मुर्मू ने पार्षद पद से अपना सियासी सफर प्रारंभ किया था. वो बीजेपी-बीजेडी गठबंधन सरकार में मंत्री रही हैं। सियासत और सामाजिक जीवन में करीब दो दशक लंबा अनुभव उनके पास है। उन्होंने भुवनेश्वर के रमा देवी कॉलेज से ग्रेजुएट किया था। वो ओडिशा से दो बार विधायक रह चुकी हैं. वो बीजेपी एसटी मोर्चा की कार्यकारिणी में सदस्य रही हैं।
संघर्षमय रहा जीवन
द्रौपदी मुर्मू का जीवन बेहद संघर्षमय रहा है और उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बड़ा योगदान दिया है। वो एक बेहद गरीब आदिवासी परिवार में पैदा हुईं, लेकिन उनके अंदर समाज के उत्थान के लिए काम करने की ललक थी। उन्होंने रैरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बिना वेतन के अध्यापन कार्य किया। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर रैरंगपुर एनएसी के वाइस चेयरमैन के तौर पर शुरू किया। उन्हें ओडिशा विधानसभा ने वर्ष 2007 में सर्वश्रेष्ठ विधायक के तौर पर नीलकंठ अवार्ड से सम्मानित किया। उन्होंने ओडिशा सरकार में ट्रांसपोर्ट, वाणिज्य, मछलीपालन, पशुपालन जैसे कई अहम विभाग संभाले।
कोरोनाकाल में स्टाफ को दी छुट्टी, खुद किया अपना काम
झारखंड की पूर्व गवर्नर द्रौपदी मुर्मू का जीवन बेहद सादगी भरा रहा है और दूसरों की मदद के लिए वो हमेशा तैयार रहती हैं। फिर वो चाहे कितनी ही ऊंचे पद पर क्यों नहीं रही हों। ऐसा ही कुछ कोरोनाकाल में देखने को मिला। झारखंड के गवर्नर रहने के दौरान द्रौपदी मुर्मू के स्टॉफ के कई लोग संक्रमित हो गए, लेकिन उन्होंने अपने ज्यादातर स्टॉफ को संकट की घड़ी में छुट्टी दे दी और यहां तक कि वो अपना भोजन भी खुद बनाया करती थीं। एक गवर्नर के लिए ऐसी बात मिसाल कायम करती है। आलीशान राजभवन में भी वो सिर्फ तीन कमरों का ही इस्तेमाल करती थीं। द्रौपदी मुर्मू के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध रहे हैं। राज्यपाल के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान कोई विवाद भी सामने नहीं आया।
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरगंज जिले के बैदपोसी गांव में हुआ। उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडु है। वो आदिवासी जातीय समूह, संथाल से ताल्लुक रखती हैं। द्रौपदी का बचपन गरीबी और मुश्किलों के बीच बीता। ऐसे हालात में द्रौपदी ओडिशा के सिंचाई और बिजली विभाग में 1979 से 1983 तक जूनियर असिस्टेंट के तौर पर काम कर चुकी हैं। वर्ष 1994 से 1997 तक उन्होंने रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में ऑनरेरी असिस्टेंट टीचर के तौर पर बिना वेतन बच्चों को पढ़ाया।
मुर्मू 2000 और 2004 में बीजेपी के टिकट पर रायरंगपुर सीट से विधायक निर्वाचित हुई थीं। वो बीजेपी एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी रह चुकी हैं। वर्ष 2007 में द्रौपदी को ओडिशा विधानसभा के सर्वोत्तम विधायक ऑफ द ईयर पुरस्कार से नवाजा गया था। ओडिशा में बीजेडी और बीजेपी गठबंधन सरकार में वो मंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने मार्च 2000 से कई 2004 तक राज्य के वाणिज्य और परिवहन था और मत्स्य और पशु संसाधन विकास विभाग के मंत्री का पद संभाला। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की ऐसी पहली राज्यपाल थीं, जिन्होंने वर्ष 2000 में इस राज्य के गठन के बाद पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। उन्होंने वर्ष 2015 से 2021 तक झारखंड के गवर्नर का पद संभाला।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।