महिला दिवस पर डॉ. पुष्पा खंडूरी की कविता- मुझे मेरे हिस्से का आसमान चाहिए
मुझे मेरे हिस्से का आसमान चाहिए।
थोड़ी सी जमीं नहीं पूरा जहान चाहिए॥
विश्वाआरा लोपामुद्रा, गार्गी अपाला,
विद्योत्तमा की वंशज,
शारदा, गायत्री हूं, वेदमाता हूं मैं ।
शास्त्रार्थ में सबसे आगे हूं,
संकट में कभी ना हारी हूं
हर दुश्मन पर मैं भारी हूं
हर उन्नति की अधिकारी हूं॥
कोमल हूं पर कमजोर नहीं हूं।
हर निर्णय में पुरजोर सही हूं॥
भावों के प्रवाह में जो बह जाती।
पर दृढ़ता का पारावार वही हूं॥
थक गई अग्नि -परीक्षा देते देते मैं,
तप – तपकर आज खरा कुन्दन हूं मैं।
भारत मां की बिन्दी हूं
हिंद के मस्तक चन्दन हूं मैं।
खोज ज्ञान विज्ञान हूं मैं
अन्तरिक्ष अनुसंधान हूं मैं
थोड़ी सी जमीं नहीं, पूरा जहान चाहिए ।
मुझे मेरे हिस्से का आसमान चाहिए॥ (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
हर क्षेत्र में सबसे आगे हूं मैं,
श्री कृष्ण के आगे राधा हूं मैं,
श्री राम के आगे सीता हूं मैं,
अस्तित्व सकल जग का मैं।
क्योंकि जग – जननी जग -माता हूं मैं॥
जो ना होती वीर माता जीजाबाई,
तो वीर शिवा सा होता कौन।
जो रानी लक्ष्मीबाई ना होती,
तो झाँसी को महान बनाता कौन॥
जो ना होती सती सावित्री तो।
सत्यवान के प्राण छीनने,
यम से भिड़ जाता फिर कौन॥
मुझे मेरे हिस्से का आसमान चाहिए,
थोड़ी सी जमीं नहीं पूरा जहान चाहिए॥
कवयित्री की परिचय
डॉ. पुष्पा खंडूरी
प्रोफेसर, डीएवी (पीजी ) कॉलेज
देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।