डॉ. पुष्पा खंडूरी की कविता- मेरी कविता में आना श्रीराम
मेरी कविता में आना श्री राम! मेरी कविता में आना।
मेरी कविता बनें गीता- ज्ञान, मेरी कविता में आना॥
कविता में आना श्री राम मेरी कविता में आना ॥1॥
मैं भिलनी सी चुन-चुन शब्दों को लाऊँगी,
प्रभु तुमको भोग लगाऊँगी,
तुम भोग लगाना श्री राम!
मेरी कविता में आना।
मेरी कविता में आना प्रिय राम।
मेरी कविता में आना ।
कविता बने गीता – ज्ञान,
मेरी कविता में आना ॥2॥
मैं अहिल्या सी पत्थर बन जाऊँगी,
तेरी राहों में प्रभु बिछ जाऊँगी।
मुझे चरण में लगाना राम!
मेरी कविता में आना,
मेरी कविता आना श्रीराम !
मेरी कविता बने गीता -ज्ञान,
मेरी कविता में आना कविता में आना श्री राम,
मेरी कविता में आना॥3॥ (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
मैं लक्ष्मण सी बन जाऊँगी
तेरी सेवा में रम जाऊँगी,
प्रभु !तू रखना मेरा ध्यान॥
मेरी कविता में आना
राम मेरी कविता आना
मेरी कविता बने गीता -ज्ञान,
मेरी कविता में आना कविता में आना
श्री राम मेरी कविता में आना ॥ 4॥
मैं भरत सा भाई बन जाऊँगी
सब सुख – तज तुमको ही ध्याऊँगी
मुझे गले से लगाना श्रीराम !
मेरी कविता में आना।
श्री राम मेरी कविता आना।
मेरी कविता बने गीता -ज्ञान
मेरी कविता में जाना॥ 5॥
मैं केवट बन जाऊँगी,
प्रभु तेरे चरण धुलाऊँगी,
मुझे पार लगाना श्रीराम !
जब मैं दुनिया से जाऊँगी
मेरी कविता में आना राम।
“कविता बने गीता – ज्ञान
मेरी कविता में आना मेरी कविता में आना राम,
मेरी कविता में आना॥ 6 ॥
कवयित्री की परिचय
डॉ. पुष्पा खंडूरी
प्रोफेसर, डीएवी (पीजी ) कॉलेज
देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।