केबीसी के कर्मवीर स्पेशल शो में आज नजर आएंगे उत्तराखंड के डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, जीत चुके हैं 25 लाख की रकम
कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) में कर्मवीर स्पेशल शो में उत्तराखंड में हैस्को के संस्थापक एवं पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी आज शुक्रवार को नजर आएंगे। हालांकि इस शो की शूटिंग पहले हो चुकी है। वह इसमें 25 लाख की रकम भी जीत चुके हैं। जोशी के साथ बनाई गई जोड़ी में फिल्म निर्देशक अनुराग बसु थे। दोनों ने हॉट सीट पर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के सवालों का बखूबी जवाब दिया।इस जोड़ी ने 25 लाख की रकम जीतने में कामयाबी पाई। हालांकि, इस संबंध में जब पत्रकारों ने जोशी से पूछा तो वे बोले शुक्रवार को शो देखिये, अपने आप साफ हो जाएगा।
पद्मभूषण पर्यावरणविद् डॉ. अनिल प्रकाश जोशी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। देश-दुनिया के बिगड़ते पर्यावरण को लेकर वह सदैव चिंतित रहते हैं। उत्तराखंड में मृतप्राय हो चुकी पनचक्की को पुर्नजीवित करने के लिए उनका बड़ा योगदान है। इन पनचक्की से अब बिजली भी पैदा की जाती है। महिलाओं का उत्थान हो या फिर उन्हें रोजगार से जोड़ना। युवाओं और महिलाओं को इस दिशा में आगे बढ़ाने में वे सदैव प्रयासरत रहे। जल, जंगल, जमीन की रक्षा और पर्यावरण संतुलन बनाते हुए रोजगार के संसाधन उपलब्ध कराना उनका जीवन का मकसद है।
टीवी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के सामने जब पर्यावरणविद डॉ. जोशी की पीड़ा उभरी तो वह उनके कायल हो गए। अमिताभ बच्चन ने इस ‘कर्मवीर’ के साथ खुद को जोड़ते हुए कहा, ‘अब हमारे चिंतित होने का समय आ गया है। यदि अब भी न संभले तो न संभलने का मौका मिलेगा और न संभालने का।’ यही नहीं, हॉट सीट पर डॉ. जोशी का साथ देने वाले फिल्म निर्देशक अनुराग बसु भी उनसे खासे प्रभावित हुए। बसु बोले, ‘पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर हम गंभीर होंगे और डॉ. जोशी के साथ मिलकर कार्य किया जाएगा।’
इस सबको देखते हुए ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ने उन्हें कर्मवीर स्पेशल शो में आमंत्रित किया। इसमें डॉ.जोशी शुक्रवार को फिल्म निर्देशक अनुराग बसु के साथ हॉट सीट पर बैठे नजर आएंगे। वह न सिर्फ महानायक अमिताभ बच्चन के सवालों का जवाब देंगे, बल्कि देश-दुनिया के पर्यावरण समेत तमाम मसलों पर अपनी बात रखेंगे। वह इस शो में हिमालयी क्षेत्र से शामिल होने वाले ऐसे पहले कर्मवीर है, जो पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।
हर वक्त हिमालय की चिंता
पिछले 37 वर्षों से डॉ.जोशी पारिस्थितिकी और आर्थिकी के क्षेत्र में कार्यरत हैं, लेकिन मन में चिंता हर वक्त हिमालय और पर्यावरण की रहती है। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार में प्राध्यापक रहे डॉ.जोशी ने 1983 में सरकारी नौकरी छोड़ दी और फिर हिमालयी पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संगठन (हेस्को) के जरिये अपनी मुहिम को आगे बढ़ाया। इसके बाद तो पर्यावरण, गांव व समाज की सेवा में जुट गए। ‘लोकल नीड मीट लोकली’ के सूत्रवाक्य पर चलते हुए स्थानीय जरूरतों को पूरा करने पर जोर दिया और पर्यावरण को बचाने की मुहिम भी छेड़ी। हिमालय और हिमालयवासियों के हितों की चिंता के मद्देनजर नौ सितंबर को हिमालय दिवस के आयोजन की नींव पड़ने के पीछे भी डॉ. जोशी की सोच थी।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।