दोगुली नीतिः कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को किया मना, फिर एबीवीपी को कैसे दे दिया- सूर्यकांत धस्माना
उत्तराखंड कांग्रेस ने उत्तराखंड सरकार और देहरादून के जिला प्रशासन पर दोगुली नीति अपनाने का आरोप लगाया है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि देहरादून के परेड मैदान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की जनसभा के लिए नहीं दिया गया था। वहीं, अब एबीवीपी के अधिवेशन के लिए इस मैदान को सौंप दिया गया है। यही नहीं, अधिवेशन स्थल का नामकरण “भगवान विरसा मुंडा नगर” किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि क्या उत्तराखंड में बीजेपी को एक भी राज्य का महापुरुष ऐसा नहीं मिला, जिनके नाम पर अधिवेशनस्थल का नामकरण किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून स्थित उत्तराखंड कांग्रेस के मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में धस्माना जिला प्रशासन की दोगुली नीति पर कड़ी आपत्ति दर्ज की। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अखिल भारतीय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की जन सभा के लिए प्रदेश शासन व जिला प्रशाशन ने परेड ग्राउंड की अनुमति नहीं दी थी। अब उसी परेड ग्राउंड की अनुमति अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को उनके तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए कैसे दे दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार को इस सवाल का जवाब देना पड़ेगा कि एक राष्ट्रीय दल के अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता विपक्ष की सभा के लिए परेड मैदान को आवंटित क्यों नहीं किया गया। तब कहा गया कि राजनैतिक कार्य व सभा के लिए परेड मैदान का आवंटन नहीं हो सकता। अब उसी स्थान को तीन दिन के अधिवेशन के लिए कैसे आवंटित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि भाजपा के छात्र विंग के अधिवेशन स्थल का नाम “भगवान विरसा मुंडा नगर” रखा गया है। उन्होंने कहा कि श्री विरसा मुंडा झारखंड के महापुरुष हैं और उनका हम भी सम्मान करते हैं, किन्तु उत्तराखंड में आयोजित हो रहे कार्यक्रम स्थल का नाम उत्तराखंड के किसी महापुरुष के नाम पर करने की बजाय झारखंड के किसी महापुरुष किया जाना समझ से परे है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेता धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड में अनेक विभूतियां राजनैतिक, साहित्यिक, सामाजिक क्षेत्र की हैं। अनेक नेशनल हीरो हैं, जिन्होंने क्षेत्र का नाम देश में और दुनिया में रौशन किया है। उन्होंने कहा कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली, श्रीदेव सुमन, तीलू रोतेली, बैरिस्टर मुकुंदी लाल, पंडित गोविंद बल्लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा और अनेक देश के ऐसे शहीद हैं, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण नौछावर कर दिए। इनमें से किसी के नाम पर भी अधिवेशन स्थल का नाम रखा जा सकता था। पूरे देश से जो डेलीगेट आयेंगे वे भ्रम में रहेंगे कि भगवान विरसा मुंडा उत्तराखंड के हैं या झारखंड के।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




