क्या गुस्सा आने पर वाकई में गर्म हो जाता है दिमाग, महिलाओं का दिमाग क्यों होता है ज्यादा गर्म, जानिए वैज्ञानिक तथ्य
अक्सर जब किसी व्यक्ति को गुस्सा आता है तो कहा जाता है कि उसका दिमाग गर्म हो गया है। यह हकीकत है कि इंसान का दिमाग गरम हो जाता है। या ये भी कह सकते हैं कि किसी व्यक्ति का दिमाग अक्सर गरम रहता है। साइंस भी कहती है कि वाकई हमारा दिमाग गरम हो जाता है। हमारे दिमाग का तापमान बाकी शरीर के मुकाबले बढ़ता या घटता रहता है। इंसान के मस्तिष्क पर हुआ शोध तो यही कहता है कि हमारे दिमाग का तापमान दिन में कई बार बढ़ता और घटता है। दोपहर और शाम में भी दिमाग के तापमान में अंतर होता है। वहीं एक सवाल ये भी उठता है कि क्या महिलाओं का दिमाग पुरुषों के मुकाबले ज्यादा गर्म होता है। विज्ञान इस बारे में कई खुलासे करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक दिन में कई बार घटता बढ़ता रहता है दिमाग का तापमान
शोधकर्ताओं का कहना है कि हमारे मस्तिष्क का तापमान एक दिन में बहुत बार घटता-बढ़ता है। अगर क्रैनियोसेरेब्रल ट्रॉमा के बाद दिमाग के तापमान का घटना-बढ़ना बंद हो जाता है और ये पूरे दिन एक समान रहता है, तो ये यह बुरा संकेत है। अगर आपका दिमाग पूरी तरह से स्वस्थ है तो इसका तापमान बाकी शरीर के मुकाबले ज्यादा रहना चाहिए। बता दें कि हमारे शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस (98.6 डिग्री फॉरेनहाइट) होता है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि हमारे दिमाग का तापमान भी इतना ही रहना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शरीर के मुकाबले दिमाग का तापमान
जर्नल ब्रेन में ब्रिटेन के एक शोध समूह की प्रकाशित रिपोर्ट की मानें तो स्वस्थ मस्तिष्क इंसान के बाकी शरीर के मुताबिक काफी गर्म होता है। वहीं हमारे दिमाग का औसत तापमान 38.5 डिग्री सेल्सियस होता है, जो हमारे पूरे शरीर के मुकाबले 2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होता है। रिसर्च की मानें तो हमारे दिमाग के गहरे हिस्सों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। अगर इतना ही तापमान शरीर का होता है तो डॉक्टर बुखार का इलाज शुरू कर देते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महिलाओं का दिमाग ज्यादा गर्म
रिसर्च में पाया गया है कि महिलाओं का दिमाग पुरुषों की तुलना में ज्यादा गर्म रहता है। दिमाग के एक हिस्से थैलेमस में जहां पुरुषों के मामले में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस दर्ज कियाा गया, वहीं महिलाओं के दिमाग में इसस जगह 40.90 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। ये तापमान औसत तापमान से भी ज्यादा है। पाया गया है कि महिलाओं का दिमाग पुरुषों की तुलना में 0.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होता है। वैज्ञानिकों का मानना है पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में इस बढ़े हुए तापमान की वजह महिलाओं को होने वाला मासिक धर्म हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे तय किया गया दिमाग का तापमान
कैंब्रिज में मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के लिए एमआरसी लैबोरेट्री से नीना रेचोरज़ेक की अगुआई वाली शोध टीम ने 20 और 40 साल की उम्र वाले 40 स्वस्थ वॉलिंटियर्स को भर्ती किया। इसके बाद मैग्नेटिक रेसोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (MRS) का इस्तेमाल करके सुबह, दोपहर और शाम को सभी भर्ती लोगों के दिमाग के अलग-अलग हिस्सों में तापमान की जांच करने के बाद निर्धारित किया कि किस जगह का तापमान कितना रहना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दिन भर में एक डिग्री सेल्सियस का उतार चढ़ाव दर्ज
शोधकर्ताओं ने बताया कि अध्ययन में शामिल सभी वॉलिंटियर्स के दिमाग के तापमान में दिनभर में 1 डिग्री सेल्सियस का उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया। इसमें दिन के मुकाबले शाम को दिमाग के तापमान में गिरावट दर्ज की गई। वहीं, दिमाग में सबसे ज्यादा तापमान दोपहर के समय रिकॉर्ड हुआ। दिमाग के एक हिस्से थैलेमस में जहां पुरुषों के मामले में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस रहता है। वहीं, महिलाओं में इस जगह का तापमान 40.90 डिग्री सेल्सियस रहता है। महिलाओं के मस्तिष्क का तापमान पुरुषों की तुलना में औसतन 0.4 डिग्री सेल्सियस अधिक रहता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उम्र से भी है दिमाग के तापमान का संबंध
महिलाओं में ऑव्यूलेशन के बाद शरीर का तापमान सामान्य से अधिक रहता है। शोध में जब इस दौरान दिमाग का तापमान मापा गया तो तापमान सामान्य से अधिक पाया गया। वहीं, दिमाग के तापमान का संबंध हमारी उम्र से भी है। शोध रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे हमारे दिमाग का तापमान भी बढ़ता जाता है। दिमाग के गहरे हिस्से में तापमान उम्र के साथ ज्यादा बढ़ता है। शोधकर्ताओं ने डाटा का इस्तेमाल कर दिमाग के तापमान का पहला 4डी मैप बनाया। नीना रेजचोरजे़क के मुताबिक, इस मैप की बहुत ज्यादा जरूरत है। टीम ने वॉलिंटियर्स के दिमाग के तापमान के डाटा की तुलना दिमाग की चोट के कारण गहन देखभाल यूनिट में भर्ती 100 से ज्यादा रोगियों से की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दिमागी चोट के रोगियों पर तापमान का असर
शोधकर्ताओं ने पाया कि दिमागी चोट से जूझ रहे रोगियों के दिमाग का औसतन तापमान स्वस्थ वॉलिंटियर्स के मुकाबले 1 डिग्री सेल्सियस कम था। यही नहीं, रोगियों के दिमाग का तापमान में दिनभर में उतार-चढ़ाव का स्तर भी स्वस्थ लोगों के मुकाबले बहुत ज्यादा पाया गया। जहां दिनभर में स्वस्थ लोगों के दिमाग के तापमान में 36.1 डिग्री से लेकर 40.9 डिग्री सेल्सियस तक का उतार चढ़ाव होता है। वहीं, दिमागी चोट के रोगियों में यह उतार चढ़ाव 32.6 और 42.3 डिग्री सेल्सियस के बीच था। हालांकि, 25 फीसदी रोगियों के दिमाग का तापमान दिन भर में स्वस्थ लोगों के बराबर रहा। अगर उतार-चढ़ाव गायब है, तो मृत्यु का जोखिम बहुत ज्यादा बताया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चोटों से उबरने में होता है मददगार होता है तापमान
शोधकर्ताओं ने पाया कि हमारे दिमाग का तापमान इंसान की उम्र, लिंग, दिन के समय और क्षेत्रों के मुताबिक बदलता रहता है। शोधकर्ताओं की टीम के मुताबिक, मस्तिष्क के रोजाना घटते-बढ़ते तापमान का संबंध दिमाग में लगी चोटों से उबरने के साथ भी है। इंसान के दिमाग के तापमान में होने वाला बदलाव स्वस्थ मस्तिष्क का भी संकेत हो सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह शोध दिमाग से जुड़े रोगों के इलाज में भी मददगार साबित हो सकता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।